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लक्ष्मी सहकारी बैंक ने महिलाओं को बनाया सशक्त

सहकारिता से आर्थिक समृद्धि के साथ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले इस बैंक की शुरुआत 1994 में हुई। महिलाओं की बैंकिग गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू हुआ यह बैंक न सिर्फ अपने उद्देश्यों में सफल हुआ है, बल्कि सहकारिता का एक रोल मॉडल बन चुका है। बैंक की प्राथमिकता वह महिलाएं हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आती हैं।

Published: 08:00am, 14 Feb 2025

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित लक्ष्मी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित के भीतर प्रवेश करते ही आपको अन्य बैंकों से थोड़ा अलग दृश्य नजर आएगा। बैंक में कार्यरत अधिकांश कर्मचारी और ग्राहक महिलाएं हैं। सहकारिता से आर्थिक समृद्धि के साथ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले इस बैंक की शुरुआत 1994 में हुई। महिलाओं की बैंकिग गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू हुआ यह बैंक न सिर्फ अपने उद्देश्यों में सफल हुआ है, बल्कि सहकारिता का एक रोल मॉडल बन चुका है। बैंक की प्राथमिकता वह महिलाएं हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आती हैं।

रायपुर के कुशालपुर में रहने वाली आशा रजक को बैंक ने जनवरी 2023 में 80 हजार रुपए का ऋण दिया था। बैंक से मिली इस वित्तीय मदद से वह कपड़े प्रेस करने के पुश्तैनी काम को व्यावसायिक रूप देकर स्वरोजगार कर रही हैं। इसी तरह पुरानी बस्ती में रहने वाली मीना पंसारी शहरी सहकारी बैंक की सफलता की कहानी कह रही हैं। बैंक से एक लाख रुपए ऋण लेकर मीना टोकरी बनाने का स्वरोजगार कर रही हैं। जिले के आरंग में रहने वाली सत्यवती लोधी समेत ऐसी महिलाओं की लंबी सूची है, जिन्हें बैंक से मिले ऋण ने आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूती प्रदान की है।

लक्ष्मी महिला नागरिक सहकारी बैंक ने 1994-95 के मात्र सात माह की अल्पावधि में 50.79 लाख रुपये की जमा पूंजी प्राप्त की, जो निरन्तर बढ़ते हुए वर्ष 2022-2023 में 13,534.12 लाख रूपये के वृहद स्तर तक जा पहुंची। प्रारंभिक वर्ष में जहां बैंक ने मात्र 2094 सदस्यों के सहयोग से 18.16 लाख रुपए की अंश पूंजी एकत्र की, वहीं वित्तीय वर्ष (2022-2023) में बैंक के सदस्यों की संख्या बढ़कर 15,763 व अंश पूंजी 503.01 लाख रुपए हो गयी। प्रारंभिक वर्ष 1994-95 में जहां बैंक ने 4.80 लाख रुपए का ऋण वितरण किया, वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 तक स्वावलंबन व स्वरोजगार की दृष्टि से महिलाओं व अन्य जरूरतमंदों को दी गयी ऋण की बकाया राशि बढ़कर 7,759.12 लाख रुपये पर पहुंच गयी। प्रारंभिक वर्ष से बैंक सतत् लाभ अर्जित कर रहा है। बैंक ने लाभ में से अपने सदस्यों को उनके अंश के लाभ के रुप में वर्ष 2008-09 से वर्ष 2014-2015 तक लगातार सात वर्षों तक 18 प्रतिशत व वर्ष 2021-22 में 15 प्रतिशत की दर से लाभांश का वितरण किया है। बैंक को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1 करोड़ 27 लाख 81 हजार 891 रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। वर्तमान में बैंक की कार्यशील पूंजी 16,565.46 लाख रुपए है।

वंचितों को संबल देता है व्यावसायिक सहकारी बैंक

रायपुर में ही स्थित व्यावसायिक सहकारी बैंक लि. की स्थापना 1987 में हुई। छोटे उद्यमियों, रेहड़ी वालों से लेकर छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाले लोगों के बीच काम करने वाले इस बैंक ने 2022-23 में 2 करोड़ 40 लाख रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया। बैंक के पास लगभग 39,000 बैंक खाते हैं। बैंक की जमा राशि 200 करोड़ रुपए से अधिक है। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के किसी कॉर्पोरेट बैंक की तरह एटीएम कार्ड, एटीएम मशीन, मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई, आईएमपीएस समेत तमाम सुविधाएं ग्राहकों को प्रदान की जाती हैं। ख़ास बात यह है कि बैंक के ग्राहकों में बड़ी संख्या उस वर्ग की है जो सामान्यत: कम पढ़े-लिखे होने के साथ समाज के निचले पायदान पर खड़े हैं। बैंक में किसी भी जमाकर्ता का कुल 5 लाख रुपए का जोखिम बीमा भी होता है। केंद्र सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ भी बैंक द्वारा प्रदान किया जाता है। अपनी स्थापना के तीन दशक के भीतर शून्य एनपीए के साथ बैंक की अकेले रायपुर में छह शाखाएं खुल चुकी हैं।

व्यावसायिक सहकारी बैंक लिमिटेड, रायपुर

लक्ष्मी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित और व्यावसायिक सहकारी बैंक लि. रायपुर से लेकर देशभर के शहरी सहकारी बैंकों के पास आवासीय ऋण, दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन ऋण, व्यावसायिक व स्वरोजगार हेतु ऋण और बैंकिंग सेवाएं तथा उत्पाद उपलब्ध हैं। शहरी सहकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बनाए गए नियमों का शत-प्रतिशत पालन करने के साथ स्थानीय आवश्यकताओं की समझ ने इन बैंको की प्रासंगिकता को और बढ़ा दिया है।

शहरीकरण के साथ बढ़ी सहकारी बैंकों की भूमिका

ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत प्राथमिक ऋण सहकारी समितियों की उपलब्धियों के अनेक किस्से हमारे सामने हैं। सहकारिता आज सिर्फ दूध, चीनी, दैनिक आवश्यकता की अन्य वस्तु के उत्पादन और वितरण तक सीमित नहीं है। यह बैंकिंग सेवाओं को भी विस्तार दे रही है। अब देश के शहरी हिस्से में मौजूद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आर्थिक उत्थान में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की निर्णायक भूमिका है। शहरीकरण की बढ़ती दर के साथ शहरों में श्रमिक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम व्यवसायिकों की संख्या बढ़ी है। यह वर्ग अक्सर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के दायरे में नहीं आ पाता। देश की बैंकिंग सेवाओं में शहरी सहकारी बैंकों की भूमिका लगभग 4.2 प्रतिशत है। 1502 शहरी सहकारी बैंकों की 11,000 शाखाएं उन क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएं संचालित कर रही हैं, जो भौगोलिक रूप से सार्वजनिक एवं निजी बैंकों के क्षेत्र से वंचित हैं।

इनके ग्राहकों में बड़ा अनुपात छोटे उद्यमी, रेहड़ी वाले, सामान्य जन हैं। 31 मार्च 2031 तक देश में 51 शहरी सहकारी बैंक सूचीबद्ध श्रेणी में हैं जबकि 1451 गैर अनुसूचित श्रेणी (नॉन शिड्यूल) में हैं। वर्तमान में 500 करोड़ रुपए से 1000 करोड़ रुपए की जमा पूंजी वाले शहरी सहकारी बैंकों की संख्या 110 है, जबकि 250 से 500 करोड़ रुपए तक की जमा पूंजी रखने वाले यूसीबी की संख्या 110 तक पहुंच चुकी है।

शहरी सहकारी बैंकों का डिजिटल पदचिन्ह

कुछ सालों पहले तक शहरी सहकारी बैंकों को लेकर धारणा थी कि यह तकनीक और डिजिटल सेवाओं में काफी पिछड़े हैं, लेकिन अब ये बैंक मोबाइल, नेट बैंकिंग समेत आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट हर डिजिटल सुविधा ग्राहकों को उपलब्ध करा रहे हैं। तकनीक के साथ शहरी सहकारी बैंकों का कदमताल, उनके वित्तीय लेनदेन को आसान बनाने के साथ सुरक्षित भी बनाता है। केंद्र में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद शहरी सहकारी बैंकों के कामकाज में और तेजी आई है। केंद्र सरकार शहरी सहकारी बैंकों को नई शाखाएं खोलने, लोगों के घर पहुंचकर बैंकिंग सुविधा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

YuvaSahakar Team

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