करीब पांच साल के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद बड़ा फैसला लेते हुए पॉलिसी रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। इससे होम लोन और अन्य ऋण लेने वालों को राहत मिल सकती है।
नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अपनी पहली बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने अपनी पहली MPC बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की। इस कारण अब मौजूदा रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है। RBI ने पिछली बार मई 2020 में रेपो दर में कटौती की थी, लेकिन मई 2022 से इसे बढ़ाना शुरू किया था।
एमपीसी के फैसले की जानकारी देते हुए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हम मैक्रो इकोनॉमी सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय इकोनॉमी की स्थिति फिलहाल बेहतर है। लचीले इन्फ्लेशन टारगेटिंग का अच्छा प्रभाव दिखा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काम करता रहेगा। एमपीसी के 6 सदस्य ब्याज दर घटाने के पक्ष में थे।
EMI पर कितना असर होगा?
ब्याज दरों में कमी से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है। यदि बैंक इस कटौती को अपने ग्राहकों तक पहुंचाते हैं, तो मंथली EMI कम हो सकती है।
FY25 के लिए खुदरा महंगाई 4.8% रहने का अनुमान
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 के लिए खुदरा महंगाई 4.8% रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही के शुरुआती कॉरपोरेट नतीजों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हल्की रिकवरी का संकेत मिलता है। व्यावसायिक उम्मीदें सकारात्मक बनी हुई हैं और सर्विसेज अच्छी बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी का रुख है, जबकि शहरी मांग का रुख मिलाजुला है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रियल GDP ग्रोथ 6.75%, अप्रैल-जून 2025 तिमाही में 6.7% और जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही में 7% रहने का अनुमान लगाया है। वहीं अक्टूबर-दिसंबर 2025 और जनवरी-मार्च 2026 तिमाही में इसके 6.5-6.5% रहने का अनुमान है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो दर को 25 आधार अंकों की कटौती कर 6.5% से घटाकर 6.25% करने के फैसले का रियल एस्टेट सेक्टर ने स्वागत किया है। नारेडको महाराष्ट्र के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंजू याग्निक और सुप्रीम यूनिवर्सल के संयुक्त प्रबंध निदेशक सनी बिजलानी के अनुसार, यह फैसला घर खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के लिए फायदेमंद होगा। ब्याज दरों में कटौती से होम लोन की EMI घटेगी, जिससे संपत्ति खरीदना आसान होगा। साथ ही, डेवलपर्स को फंडिंग में राहत मिलेगी, जिससे प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे होंगे और बाजार में नई ऊर्जा आएगी।