’सबके लिए बीमा’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को 100 प्रतिशत तक निवेश की छूट देने का प्रावधान किया है। आम बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र के नियामक बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के वर्ष 2047 तक सभी के लिए बीमा की प्रतिबद्धता पर मुहर लगा दिया है। भारत में फिलहाल बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाने की घोषणा बजट में की गई है। बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो भारत में प्रीमियम निवेश करेंगी। सरकार के इस फैसले से बीमा के दायरे में अधिक से अधिक लोग शामिल होंगे।
उपभोक्ताओं को लाभ
बीमा प्रीमियम की दरों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और पारदर्शिता का अभाव रहता है, जिसे दूर करने में इस फैसले से मदद मिलेगी। प्रीमियम दरों को प्रतिस्पर्धी व पारदर्शी बनाने में सहूलियत मिलेगी, जिसका लाभ उपभोक्ताओँ को मिलेगा। बीमा दावों को निपटाने वाली सेवाओं में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल बीमा भुगतान में सेवा शर्तों को लेकर विवाद होते रहे हैं। उपभोक्ता मंत्रालय के पास सबसे अधिक विवादों की सूची बीमा भुगतान को लेकर आती हैं। बीमा कपंनियों के बीच व्यावसायिक कंपीटिशन बढ़ने से इसमें सुधार होने की संभावना है।
बीमा के दायरे में सबको लाना
भारत के नागरिकों और बीमा योग्य संपत्तियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिना बीमा के रह गया है। इसके चलते सरकारी और उपभोक्ताओं दोनों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही थी। इससे उच्च आउट-ऑफ-पॉकेट खर्चों का जोखिम बढ़ रहा था। सरकारी खजाने पर काफी बोझ पड़ रहा है। FDI में इस बढ़ोतरी से इस समस्या का हल होने की उम्मीद है।
रोजगार सृजन का मौका
विदेशी निवेश बढ़ने और विदेशी बीमा कंपनियों के आने से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए जिन शर्तों का उल्लेख किया है उसके मुताबिक 100 प्रतिशत निवेश का लाभ उन्हीं विदेशी कंपनियों को मिलेगा जो उपभोक्ताओं से जुटाई जाने वाली प्रीमियम का निवेश भारत में ही करेंगी। इस सेक्टर में मौजूदा निवेश की शर्तों को भी आसान बनाया जाएगा। इससे जहां उनका कारोबार बढ़ेगा, वहीं उसमें मानव संसाधन की आवश्यकता भी पड़ेगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने ही वर्ष 2021 में बीमा सेक्टर में एफडीआई की सीमा 49 फीसद से बढ़ा कर 76 फीसद करने का फैसला किया था। जबकि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2015 में 26 फीसद की एफडीआई सीमा को 49 फीसद किया था। वैसे बीमा सेक्टर में इंटरमीडियरीज के लिए पहले ही एफडीआई की सीमा 100 फीसद की जा चुकी है।
वैश्विक औसत को छूना पहला लक्ष्य
बीमा क्षेत्र में इस सुधार के पीछे सरकार की मंशा यह है कि भारत में बीमा क्षेत्र का विस्तार अधिक से अधिक लोगों तक हो सके। बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023-24 में भारत में बीमा लेने वालों का आंकड़ा केवल 3.7 प्रतिशत थी। इसके मुकाबले वैश्विक स्तर पर बीमा लेने वालों का आंकड़ा सात प्रतिशत से अधिक था। फिलहाल वैश्विक औसत को छूना पहला उद्देश्य होगा।
समन्वय के लिए फोरम
नियामक एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय करने के लिए एक फोरम स्थापित करने की भी घोषणा की गई है। आम निवेशक समुदाय की दिक्कतों को दूर करने के लिए केवाईसी नियमों को आसान बनाने और कंपनियों के विलय की प्रक्रिया को भी आसान बनाने के एजेंडे का खुलासा किया गया है।