कोऑपरेटिव बैंक को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इन बैंकों को राष्ट्रीय और निजी बैंकों की तरह ग्राहकों को सभी तरह की सेवाएं देने से लैस करने का फैसला किया है। अगले तीन साल में ये बैंक इन सेवाओं से युक्त हो जाएंगे। कोऑपरेटिव बैंकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए एक अंब्रेला संगठन राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (NUCFDC) बनाया गया है जो एक नियामक की तरह काम करेगा। एनयूसीएफडीसी के मुंबई स्थित कॉरपोरेट कार्यालय का केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने उद्घाटन किया।
इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि यह अंब्रेला संगठन अर्बन कोऑपरेटिव सेक्टर को मल्टी डायमेंशनल फायदा पहुंचाएगा। सभी शेड्यूल्ड कोऑपरेटिव बैंक अगले तीन साल में राष्ट्रीय बैंकों और निजी बैंकों द्वारा दी जाने वाली सभी सेवाओं से युक्त हो जाएंगे जिनसे इनकी सेवाओं का विस्तार होगा। डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, ऑनलाइन लेनदेन और विदेश के साथ व्यापार जैसी गतिविधियों को अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के साथ समाहित करने का काम ‘अंब्रेला संगठन’ करेगा। इसके साथ-साथ संसाधनों का बेहतर उपयोग, बैंकिंग प्रक्रिया में सुधार और सभी कोऑपरेटिव बैंकों के अकाउंटिंग सिस्टम को एक करना इसका लक्ष्य रहेगा।
शाह ने बताया कि देश में कुल 1,465 शहरी सहकारी बैंक हैं, जिनमें से लगभग आधे गुजरात और महाराष्ट्र में हैं। देश में 49 शेड्यूल्ड बैंक हैं और 8 लाख 25 हजार से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं। आने वाले दिनों में पूरे देश में सहकारिता में सहकार के सिद्धांत को लागू किया जाएगा। कोऑपरेटिव संस्थाओं का सारा लेनदेन और वित्तीय व्यवहार कोऑपरेटिव बैंकों के माध्यम से ही होगा। सहकारिता में सहकार के सिद्धांत को देश के सभी राज्यों में जमीन पर उतरने से हमें बहुत बड़ी सफलता हासिल होगी। तभी सहकारिता क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के कई सारे मुद्दे भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सुलझाए हैं। आने वाले दिनों में अंब्रेला संगठन को मजबूत कर हम विश्वास और व्यापार को बढ़ाएंगे और सभी अड़चनों को दूर करेंगे।
24 जनवरी को आयोजित इस कार्यक्रम में अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के दौरान देश में सहकारिता वर्ष मनाने के लिए तय 12 माह के कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। सहकारिता मंत्रालय ने साल भर का यह कार्यक्रम तय किया है। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता वर्ष इस तरह से मनाया जायेगा जिससे देशभर में सहकारिता आगे बढ़े। इस दौरान सहकारिता के विस्तार, इस क्षेत्र में शुचिता लाने, सहकारी संस्थाओं को समृद्ध बनाने, कई नए क्षेत्रों में सहकारिता की पहुंच बढ़ाने और भारत के हर व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार से सहकारिता से जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयास किए जाएंगे। 31 दिसंबर, 2025 को जब सहकारिता वर्ष समाप्त होगा, तब तक हमारी सहकारिता का विकास सिमेट्रिक और समावेशी होगा और हम सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को काफी हद तक प्राप्त कर चुके होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को दुनिया की तीसरे नंबर की आर्थिक शक्ति और 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति में सहकारिता क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान होगा। सहकारिता क्षेत्र, सामाजिक समरसता, समानता और समावेशिता के सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ेगा।
इसी मौके पर सहकारिता के नए बायलॉज से बनी 10 हजार बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (MPACS) का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया गया। इसे नई शुरुआत बताते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश की हर पंचायत में एक पैक्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। पैक्स को व्यवहारिक बनाने के लिए मॉडल बायलॉज बनाए गए जिसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। मॉडल बायलॉज के तहत अब पैक्स कई प्रकार की अलग-अलग नई गतिविधियां शुरू कर सकते हैं। मोदी सरकार ने 2500 करोड़ रुपये खर्च कर हर पैक्स को कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर दिए हैं और कई प्रकार की नई गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पैक्स को सफल बनाने के लिए हमें तकनीक को अपनाना होगा। पैक्स में प्रोफेशनलिज्म लाकर इसके माध्यम से पूरे सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करना होगा। सहकारिता क्षेत्र आने वाले दिनों में कृषि, ग्रामीण क्षेत्र और युवाओं के लिए रोजगार और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।