Trending News

 इजरायल और सीरिया के बीच हुआ युद्धविराम, अमेरिकी राजदूत टॉम बराक ने किया ऐलान, ड्रूज इलाके में थमेगी जंग, इजरायल बोला- सीरिया के ड्रूज अल्पसंख्यकों की रक्षा करना हमारा लक्ष्य         मौसम: राजस्थान में बारिश से 4 दिन में 23 लोगों की मौत, दिल्ली-NCR , यूपी, बिहार, हरियाणा-पंजाब समेत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश का अलर्ट, बंगाल, असम, सिक्किम, अरुणाचल और मेघालय में भयंकर बारिश की संभावनाएं         यमुना एक्सप्रेस-वे पर भीषण हादसा, पिता और दो पुत्रों सहित 6 लोगों की मौत, इको गाड़ी में अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर         अगले हफ्ते ब्रिटेन की यात्रा पर जाएंगे PM मोदी, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर कर सकते हैं हस्ताक्षर, मालदीव की भी यात्रा करेंगे PM मोदी         बिहार को PM मोदी की सौगात, 7200 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का किया उद्घाटन और शिलान्यास, 4 अमृत भारत ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी. 40 हजार लोगों को PM आवास योजना की पहली क़िस्त की जारी, 12 हजार लोगों का कराया गया गृह प्रवेश       

Campus Cooperative: कॉलेज-यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों को किफायती दाम पर सामान मुहैया कराने का बेहतर माध्यम  

देशभर में 1,100 से अधिक विश्वविद्यालयों और करीब 44,000 कॉलेजों में चार करोड़ से अधिक युवा पढ़ते हैं। ऐसे में इनकी खानपान की जरूरतों को पूरा करने के लिए कैंपस कोऑपरेटिव के माध्यम से किसानों को सीधे लाभान्वित करने की योजना है। शिक्षा को नया आकार देने और अधिक समावेशी एवं समुदाय उन्मुख परिसरों के निर्माण में भी कैंपस कोऑपरेटिव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। 

Published: 08:00am, 21 Jan 2025

देशभर में फैले शैक्षणिक परिसरों में करोड़ों की संख्या में विभिन्न उत्पादों की आवश्यकता होती है जिसे सामान्यतया बिचौलियों के माध्यम से पूरा किया जाता है। देशभर में 1,100 से अधिक विश्वविद्यालयों और करीब 44,000 कॉलेजों में चार करोड़ से अधिक युवा पढ़ते हैं। ऐसे में इनकी खानपान की जरूरतों को पूरा करने के लिए कैंपस कोऑपरेटिव के माध्यम से किसानों को सीधे लाभान्वित करने की योजना है। शिक्षा को नया आकार देने और अधिक समावेशी एवं समुदाय उन्मुख परिसरों के निर्माण में भी कैंपस कोऑपरेटिव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

इसी दृष्टिकोण के साथ नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) और वर्ल्ड इकोनॉमिक कोऑपरेटिव फोरम ने दो वर्षों में 500 कैंपस कोऑपरेटिव बनाने का लक्ष्य रखा है। कैंपस कोऑपरेटिव छात्रों, विश्वविद्यालयों और स्थानीय समुदायों को कई लाभ प्रदान करती हैं। इसका सबसे प्रमुख लाभ सस्ती वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करने की उनकी क्षमता है। इससे बि‍चौलि‍यों और व्यापारियों को खाद्य मूल्य श्रृंखला से हटाकर किसानों को सीधे जोड़ा जाता है जिससे शैक्षणिक कैंपस के ग्राहकों यानी छात्र-छात्राओं को सस्ती दर पर खानपान का सामान मिलने का रास्ता साफ होता है। देश के कुछ शैक्षणिक परिसरों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। एनसीयूआई और इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी के मुताबिक, पूरे देश में सहकारी क्षेत्र पर काफी जोर दिया जा रहा है, लेकिन इस आंदोलन को आगे ले जाने के लिए युवाओं की सहभागिता बहुत जरूरी है। प्रतिभावान युवाओं को आंदोलन से जोड़ने और नई ऊंचाइयों तक ले जाने में कैंपस कोऑपरेटिव एक महत्वपूर्ण कदम है।

-शैक्षणिक परिसरों में कोऑपरेटिव के जरिये ग्राहकों से सीधे जुड़ेंगे किसान, गायब होंगे कॉरपोरेट बिचौलिए

-किसानों को नया बाजार उपलब्ध कराने को दो साल में बनेंगे 500 कैंपस कोऑपरेटिव

-नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया और वैमनीकॉम के एल्युमुनाई की है इसमें अहम भूमिका

यह किसानों को सीधे शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कृषि आपूर्ति श्रृंखलाओं को सशक्त बनाने और किसानों के लिए समान रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों और किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों के अनुरूप है। इससे कैंपस सहकारी समितियों का विकास करने, सहकारी आंदोलन में युवाओं की भागीदारी को प्रेरित करने और भारत में एक समृद्ध और टिकाऊ कृषि सहकारी क्षेत्र के दृटिकोण को आगे बढ़ानें में मदद मिलेगी। सहकारी भागीदारी की क्षमता का उपयोग होने से देश में किसानों और शिक्षा के एकीकरण में एक नई शुरुआत होगी और कृषि स्थिरता और युवा सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।

सहकारिता भरेगी नई उड़ान

देश में अभी गिनती के ही स्टूडेंट कोऑपरेटिव काम कर रहे हैं, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाने का अभियान शुरू हो गया है। दरअसल, भारत सरकार की ओर से कृषि सुधारों के लिए बनाई गई कमेटी के सदस्य बि‍नोद आनंद ने आईआईटी, आईआईएम, केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों में इसी मंशा को पूरा करने के लि‍ए ‘कैंपस कोऑपरेटिव’बनाने का विचार दि‍या। इसके लिए उन्होंने मंगलौर यूनिवर्सिटी कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का उदाहरण दिया  जिसका टर्नओवर 2012 में ही करीब 93 लाख रुपये था, जबकि शुद्ध मुनाफा लगभग 20 लाख रुपये था। इसी विचार को अमल में लाने के लिए इस योजना को आगे बढाया जा रहा है।

कैंपस सहकारी समितियां कई रूप में काम कर सकती हैं। इनमें खाद्य सहकारी समितियां, पुस्तक भंडार और छात्र सेवा सहकारी समितियां शामिल हैं। खाद्य सहकारी समितियां छात्रों द्वारा संचालित किराना स्टोर या कैफे हैं जो छात्रों को स्वस्थ, स्थानीय रूप से प्राप्त और किफायती खाद्य वस्तुएं प्रदान करते हैं। साथ ही, पोषण और सस्टेनिबिलिटी के बारे में शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं।

कैसे काम करता है कैंपस कोऑपरेटिव 

कोऑपरेटिव बिजनेस मॉडल पर कैंपस कोऑपरेटिव काम करता है। पारंपरिक बिजनेस जिसका प्राथमिक लक्ष्य शेयरधारकों या मालिकों के लिए अधिकतम लाभ कमाना है, के विपरीत सहकारी समितियों को उनके सदस्यों द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाता है। आम तौर पर सहकारी समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों में प्रत्येक सदस्य का समान अधिकार होता है, भले ही उसमें उनका वित्तीय योगदान कुछ भी हो।

कैंपस सहकारी समितियां कई रूप में काम कर सकती हैं। इनमें खाद्य सहकारी समितियां, पुस्तक भंडार और छात्र सेवा सहकारी समितियां शामिल हैं। खाद्य सहकारी समितियां छात्रों द्वारा संचालित किराना स्टोर या कैफे हैं जो छात्रों को स्वस्थ, स्थानीय रूप से प्राप्त और किफायती खाद्य वस्तुएं प्रदान करते हैं। साथ ही, पोषण और सस्टेनिबिलिटी के बारे में शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं। प्रॉफिट मार्जिन और कॉरपोरेट बिचौलियों को खत्म करके कैंपस सहकारी समितियां छात्रों को कम कीमतों पर खाद्य वस्तुएं, आवास और पाठ्य पुस्तकों जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं।

कैंपस के छात्र-छात्राओं के लिए इस समय व्यापारियों और बि‍चौलियों के माध्यम से बाजार से सामान आता है और बिकता है। ऐसे में इन सब कामों का इंतजाम कोऑपरेटिव के जरिये करने और उस सप्लाई चेन में कि‍सानों के सीधे जुड़ने से उनके उत्पादों को बेहतर प्लेटफार्म मिल जाएगा। कैंपस कोऑपरेटिव से विद्यार्थियों और किसानों दोनों को फायदा पहुंचेगा। इससे देश में सहकारिता क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। विदेशों में इस पैटर्न पर बहुत से संस्थान काम कर रहे हैं।

कैंपस कोऑपरेटिव  बनाने की मुहिम में सहकारिता की शि‍क्षा देने वाली सबसे बड़ी संस्था वैम‍नीकॉम में कोऑपरेटिव बिजनेस मैनेजमेंट के अलुमनी एसोसिएशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे सहकारी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को उछाल मिलने की उम्मीद है। सहकारी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए इस समय अवसरों की भरमार है। कैंपस कोऑपरेटिव भविष्य में एक बड़ा प्रोजेक्ट बनकर उभर सकते हैं। इन सहकारी समितियों का विचार हाल के वर्षों में जोर पकड़ रहा है क्योंकि छात्र तेजी से विश्वविद्यालय जीवन के पारंपरिक और कॉरपोरेट संचालित मॉडल के विकल्प तलाश रहे हैं।

YuvaSahakar Team

Recent Post

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x