सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में कई पहल किए हैं। इसी कड़ी में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाने के लिए उन्हें 25 से ज्यादा कारोबार करने की मंजूरी दी है। इनमें पेट्रोल पंप, जन औषधि केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर खोलने से लेकर रसोई गैस सिलेंडर का वितरण करने जैसे कारोबार शामिल हैं। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए देश के 700 से ज्यादा पैक्स जन औषधि केंद्र खोलने को तैयार हैं।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर यह जानकारी साझा की है। इसमें कहा गया है कि 702 पैक्स को पीएमबीआई से स्टोर कोड मिल चुके हैं। ये अब प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं। मंत्रालय ने बताया है कि अब तक 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से 4,505 पैक्स ने पीएम जनऔषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन किया है। इनमें से 2,722 पैक्स को पीएमबीआई से प्रारंभिक मंजूरी मिल चुकी है। वहीं 772 को राज्य औषधि नियंत्रकों से औषधि लाइसेंस मिल चुका है।
पैक्स द्वारा जनऔषधि केंद्र खोले जाने से न केवल ग्रामीण लोगों को सस्ती कीमत पर दवाएं मिल सकेंगी, बल्कि यह पैक्स की आमदनी का नया माध्यम भी बनेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा। पीएम जनऔषधि केंद्र में मिलने वाली दवाओं की कीमत 50 से लेकर 90 प्रतिशत तक कम होती हैं।