फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव कृभको के शीर्ष पदों पर होने वाले चुनाव को लेकर मामला फंसता जा रहा है। केंद्रीय सहकारिता निर्वाचन प्राधिकरण ने पहले चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगाई थी और अब इस पर सॉलिसीटर जनरल से कानूनी सलाह मांगी है। इससे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में और देरी संभव है।
कृभको के उच्च पदस्थ सूत्रों ने युवा सहकार को यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय सहकारिता चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख डीके सिंह ने यह मामला सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को भेजा है ताकि उनसे कानूनी राय ली जा सके। चुनाव प्राधिकरण ने राज्य स्तरीय निदेशकों के चुनाव में कथित आपत्तियों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर रोक लगा दिया था। सूत्रों ने बताया कि इसे लेकर निदेशक मंडल के हालिया निर्वाचित निदेशक अदालत का रुख करने का मन बना रहे हैं जिसकी भनक लगते ही प्राधिकरण के प्रमुख ने इसे सॉलिसीटर जनरल के पास भेजने का फैसला किया। इसके पीछे उनका मकसद यह है कि अगर चुनाव पर रोक का मामला अदालत में जाता है, तो प्राधिकरण पहले ही अपनी ओर से पूरी कानूनी तैयारी कर ले, ताकि कोई कानूनी पेंच न फंसे।
कृभको के निदेशक मंडल ने निदेशकों के चुनाव नतीजों पर अभी तक अपनी मुहर नहीं लगाई है। सभी राज्यों में चुनाव परस्पर आमराय से करा लिए गए हैं। सभी 11 निदेशकों के चुनाव निर्विरोध करा लिए गए हैं। इसे सहकारिता की भावना को प्रतिरूप माना जा रहा है। दरअसल, निदेशक मंडल में गुजरात के प्रतिनिधित्व को लेकर आपत्तियां उठाई गई हैं, जिसका स्वतः संज्ञान लेकर प्राधिकरण ने चुनाव प्रक्रिया रोक दी है।
कृभको के बॉयलॉज के मुताबिक किसी भी राज्य में अधिकतम दो निदेशकों का होना अनिवार्य है, लेकिन गुजरात से तीन निदेशक- भीखाभाई पटेल, बिपिन पटेल और मगनभाई वडाविया को चुना गया है। बॉयलॉज के अनुसार राज्य का प्रतिनिधित्व तो सीमित है, लेकिन मार्केट फेडरेशन निदेशकों को इस सीमा से बाहर रखा गया है। इस संबंध में कृभको के प्रबंधन ने चुनाव प्राधिकरण को विस्तृत स्पष्टीकरण दे दिया है। इसके बावजूद प्राधिकरण कानूनी रूप से पूरी तरह संतुष्ट हो जाना चाहता है ताकि कोई विवाद न हो। इसलिए मामले को सॉलिसीटर जनरल के पास भेजा गया है।