- राजस्थान में ट्राइबल डेवलपमेंट फंड (टीडीएफ) से पांच हजार से अधिक आदिवासियों के जीवन में हुआ सुधार
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा कर रहे नाबार्ड के प्रयास
नाबार्ड (NABARD) की एक सराहनीय पहल से राजस्थान के आदिवासी समुदायों का जीवन बदल रहा है। ट्राइबल डेवलपमेंट फंड (TDF) की सहायता से आदिवासी समुदायों (Tribals) को कृषि व कृषि से जुड़े अन्य व्यवसायों के जरिए सतत आजीविका के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। कौशल प्रशिक्षण (Skills Training) और बेहतर आजीविका से आदिवासी समुदायों का आर्थिक और सामाजिक विकास हो रहा है। नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, द नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) गुजरात मॉडल (Gujarat Model) की तर्ज पर कृषि इनपुट को बेहतर करने का प्रयास राजस्थान (Rajasthan) में भी अपनाया, जिससे राज्य के बड़े समुदायों को फायदा पहुंचा।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा (UNO) वर्ष 2030 तक के लिए 12 मुख्य बिंदुओं पर सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित किया गया गया है, जिसमें मार्जिनल लाइफ या हाशिए पर खड़े लोगों के जीवन को बेहतर करना मुख्य रूप से शामिल है, जिसे गरीबी उन्नुमूलन के रूप में भी देखा जा रहा है। इसी क्रम में सहकारिता के प्रयासों को कम नहीं आका जा सकता। गुजरात में कृषि क्षेत्र से जुड़े समुदायों के लिए वाडी पहल के तहत छोटे छोटे बागों को एकजुट किया गया, इसी क्रम में राजस्थान में वाडी यानि फलादार छोटे बगानों वाडी पहल के तहत एक ग्रुप में शामिल किया गया। इसके बाद फलदार वृक्षों को अंतर फसल पद्धतियों के साथ एकीकृत किया गया।
इस दृष्टिकोण से आदिवासी समुदायों को एक स्थिर आय का माध्यम प्रदान हुआ, साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया गया। वर्ष 2005-06 से शुरू की गई इस पहल के बाद से नाबार्ड आदिवासी समुदायों के लिए सतत आजीविका का एक बेहतर माध्यम बन गया। इस प्रोजेक्ट के तहत बागान आधारित कृषि उपजों पर ध्यान दिया गया। इसके साथ ही धीरी धीरे आदिवासी समुदायों के बीच महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और साफ सफाई के प्रोजेक्ट भी शुरू किए गए। नवंबर 2024 तक राजस्थान के लिए नाबार्ड द्वारा ऐसे 64 प्रोजेक्ट्स को स्वीकृत किया गया, जिसके तहत 200.90 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी गई, जिसमें से 156.11 करोड़ रुपए का वितरण किया जा चुका है।
प्रोजेक्ट के माध्यम से अब तक उदयपुर, बनासवाड़ा, बारन सहित 15 जिलों की 51,885 आदिवासी परिवारों को लाभ पहुंचाया जा चुका है। प्रोजेक्ट के माध्यम से छोटे फलदार वृक्ष जैसे आम, अमरूद, नीबू आंवला आदि के बागानों के साथ ही अंतर फसल और सीमा वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया गया। प्रोजेक्ट के तहत 2,500 भूमिहीन परिवारों को आय के वैकल्पिक साधन जैसे बकरी पालन, भेड़ पालना, डेयरी फार्मिंग आदि के अलावा अकृषि गतिविधियां जैसे आचार बनाना आदि का प्रशिक्षण दिया गया।
सियाबाई के जीवन में हुआ सुधार
टीडीएफ प्रोजेक्ट के साथ जुड़कर सिया बाई सहरिया के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन आया। सिया बारन जिले की रहने वाली हैं, नाबार्ड के प्रोजेक्ट की सहायता से सिया ने एक छोटे बागान को विकसित किया। इसके साथ ही पारिस्थितिकी तंत्र में सहायत कृषि इनपुठ को भी बढ़ावा दिया। प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के बाद सिया की आमदनी में काफी सुधार हुआ, वर्ष 2018-19 में 4500 रुपए महीना कमाती थीं, अब उनकी आमदनी बढ़कर 2,50,000 तक पहुंच गई है। इसके साथ ही सिया अपने बागान में पैदा होने वाले फलों को बेचकर भी आमदनी करती हैं। इसके साथ ही सिया सरकार दवारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भी सक्रिय रूप से भागीदारी निभाती हैं, आय के कई माध्यमों से सिया और उसके परिवार की आजीविका बेहतर हो रही है।
नाबार्ड की अन्य गतिविधियां
- ड्रिप सिंचाई और वर्मी-कम्पोस्टिंग जैसी अभिनव सिंचाई को बढ़ावा
- जैविक खेती को बढ़ावा दिया देना के माध्यम से मृदा संरक्षण
- किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के निर्माण से आदिवासी किसानों को सामूहिक रूप से अपनी उपज का विपणन करने में सक्षम करना, जिससे बेहतर मूल्य सुनिश्चित हुआ है
- नाबार्ड समावेशी, सतत विकास को आगे बढ़ा रहा है, जिससे राजस्थान और उसके बाहर आदिवासी समुदायों के जीवन में बदलाव आ रहा है