नए वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि की पूरी उम्मीद है। यह वृद्धि खपत एवं निवेश बढ़ने, महंगाई और ब्याज दरों में कमी के साथ-साथ स्थिर भू-राजनीतिक वातावरण पर निर्भर है। इसके महत्वपूर्ण कारकों में ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार, सार्वजनिक निवेश में वृद्धि और अमेरिकी व्यापार नीतियों से संभावित प्रभाव को शामिल किया जा सकता है।
ग्रामीण भारत में उपभोक्ता मांग में सुधार से उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है। अच्छी बारिश और जलाशयों का स्तर बढ़ने के कारण रबी फसलों की बेहतर पैदावार की अनुकूल संभावनाएं दिख रही हैं। साथ ही सर्दियों की वर्तमान परिस्थितियां भी बेहतर फसल उत्पादन का निर्धारण करेंगी। इससे ग्रामीण मांग बढ़ने की संभावना तेज हो गई है।
इसके साथ ही, शहरी मांग में भी सुधार होने की उम्मीद है। 2024 में अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि के बाद नए वर्ष में अनुकूल आधार प्रभाव के कारण कंपनियों के मुनाफे में सुधार से मदद मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप शहरी आमदनी की वृद्धि में तेजी आएगी, जिससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा।
वैसे तो, वर्ष 2024 में महंगाई चिंता का विषय बनी रही लेकिन नए वर्ष में आरबीआई ने इसके 4.8% तक रहने का अनुमान लगाया है। इससे ब्याज दरों को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे खर्च को बढ़ावा मिलेगा। देश में आम चुनाव के कारण अर्थव्यवस्था का दूसरा प्रमुख कारक सार्वजनिक निवेश धीमा पड़ गया था, जिसके अब गति पकड़ने की उम्मीद बनी है। विशेषज्ञों ने उच्च सार्वजनिक निवेश से निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई है।
हालांकि, वैश्विक स्तर का अनिश्चित भू-राजनीतिक माहौल देश की अर्थव्यवस्था के तेज होने की उम्मीदों में निराशा पैदा कर सकता है। दुनिया की निगाहें 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने पर टिकी है, क्योंकि उनकी टैरिफ की धमकी ने भारत सरकार और उद्योग जगत को घरेलू स्तर पर सचेत कर दिया है। ऐसे में देखना होगा कि अमेरिकी नीति भारतीय निर्यात को कितना प्रभावित करती है और भारत सरकार इसमें कितना हस्तक्षेप कर पाती है? वैसे तो वर्ष 2024 के अप्रैल-नवंबर में भारत के निर्यात में 2.2% की वृद्धि हुई है, लेकिन वित्तीय बाजार जोखिम, वैश्विक संघर्षों में वृद्धि और जलवायु जैसे कारक हमारी आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।