केंद्रीय स्तर पर नए सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद कोऑपरेटिव बैंकों को मजबूत बनाने को लेकर उठाए कदमों से अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों की स्थिति में सुधार होने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्रशासन और जोखिम प्रबंधन में की गई प्रगति की सराहना की है।
“भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति 2023-24” रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि शहरी सहकारी बैंकों के पूंजी बफर, मुनाफा और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार देखा गया है। हालांकि, वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में कर्ज और जमा में उनकी वृद्धि धीमी रही जो इस क्षेत्र की चुनौतियों को दर्शाता है। आरबीआई के अनुसार, शहरी कोऑपरेटिव बैंक ने परिचालन ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण पहल के साथ प्रशासन और जोखिम प्रबंधन को बढ़ाने में प्रगति की है। इनमें चार-स्तरीय नियामक संरचना की शुरुआत, बोर्ड के निदेशकों और आश्वासन कार्यों के प्रमुखों के साथ सीधा जुड़ाव और आईटी एवं साइबर सुरक्षा जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
इन प्रगतियों के बावजूद इन बैंकों की ऋण और जमा वृद्धि अपेक्षाकृत स्थिर रही। 2023-24 के दौरान ऋण वृद्धि केवल 5 प्रतिशत और जमा में 4.1 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई।
इस रिपोर्ट में यूसीबी क्षेत्र के दीर्घकालिक समेकन प्रयासों पर भी प्रकाश डाला गया है जो कई अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों की वित्तीय अस्थिरता को दूर करने के लिए 2004-05 में शुरू हुई थी। 1990 के दशक में उदार लाइसेसिंग नीति अपनाने के चलते कोऑपरेटिव बैंकों की वित्तीय अस्थिरता बढ़ गई थी। उसके बाद से अब तक 156 शहरी सहकारी बैंकों का विलय हो चुका है। 2023-24 में अकेले 6 बैंकों का विलय हुआ है।
इनमें से अधिकांश विलय महाराष्ट्र में हुए। उसके बाद गुजरात और आंध्र प्रदेश में हुए। हालांकि, इस दौरान इन बैंकों का लाइसेंस रद्द करना भी जारी रहा। 2023-24 के दौरान 24 अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लाइसेंस रद्द किए गए। 2015-16 के बाद से कुल 70 शहरी सहकारी बैंकों के लाइसेंस कैसिंल किए गए हैं। ये मुख्य रूप से गैर-अनुसूचित श्रेणी के थे।
इन चुनौतियों के बावजूद शहरी सहकारी बैंक स्थिर ऋण-जमा अनुपात बनाए रखने में कामयाब रहे, जो 2023-24 में बढ़कर 62.5 प्रतिशत हो गया। हालांकि, उनकी कुल बाजार हिस्सेदारी में गिरावट जारी है। मार्च 2024 तक इन बैंकों की बैलेंस शीट का आकार कुल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की संपत्ति का केवल 2.5 प्रतिशत था, जो 2017 के 3.8 प्रतिशत से कम है।