नये साल का पहला दिन केंद्र सरकार ने किसानों को समर्पित किया। केंद्रीय कैबिनेट ने किसान हित में तीन बड़े फैसले लिए, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए वरदान साबित होगी। सरकार के यह तीन फैसले सीधे रूप से किसानों की आवजीविका को प्रभावित करेगें। फसल बीमा योजना और पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूदी दी गई है, जिसका कुल बजट 69.515.71 करोड़ रुपए है।
फसल बीमा योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ किसानों को होने वाले जोखिम की भरपाई करना है। कैबिनेट ने बीमा योजना में प्रौद्योगिकी सुधार के लिए 824.77 करोड़ आवंटित करने के साथ नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष की स्थापना की भी मंजूदी दी है। प्रमुख पहलों में प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उपज अनुमान प्रणाली या (YES-TECH) शामिल है, जो फसल उपज अनुमानों के लिए रिमोट सेंसिंग का उपयोग करती है।
स्वचालित मौसम स्टेशनों के माध्यम से मौसम डेटा को बढ़ाने के लिए मौसम सूचना और नेटवर्क डेटा सिस्टम विंड्स (WINDS) का प्रयोग किया जाएगा। राज्य सरकारों की सहायता से WINDS का कार्यान्वयन 2024-25 में शुरू होगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने डाय अमोनिया, फॉस्फेट डीएपी पर एकमुश्त विशेष पैकेज को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने की मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डीएपी किसानों के लिए किफायती बना रहे।
तीसरे और अहम फैसले में कैबिनेट ने भारत के सहकारिता मंत्रालय और इंडोनेशिया के व्यापार मंत्रालय के बीच गैर बासमाती सफेद चावल (एनबीडब्लूआर) के व्यापार पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर सालाना एक मिलियन मीट्रिक टन गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात संभव होगा। समझौते की अवधि चार साल की होगी और इसे स्वचालित रूप से अतिरिक्त चार साल के लिए विस्तारित किया जाएगा। इस समझौते का कार्यान्वयन राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड एनसीईएल द्वारा किया जाएगा।