Trending News

 मारिया कोरिना मचाडो को मिला 2025 का नोबेल पीस प्राइज, वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता हैं मारिया, लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए नोबेल पुरस्कार         तिरुपति में सहकारिता क्षेत्र की मजबूती पर राष्ट्रीय कार्यशाला, पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन और सुदृढ़ीकरण पर जोर         गाजा में लागू हुआ युद्धविराम, इजरायली कैबिनेट ने ट्रंप के पीस प्लान पर लगाई मुहर, 72 घंटे के अंदर सभी बंधकों को रिहा किया जाएगा         PM मोदी ने ट्रंप और नेतन्याहू से 'गाजा पीस प्लान' पर की बात, नेतन्याहू को बताया मजबूत नेता, कहा- किसी भी रूप में कहीं भी स्वीकार्य नहीं है आतंकवाद         ब्रिटिश प्रधानमंत्री और PM मोदी की बैठक में हुआ ट्रेड समझौता, PM मोदी बोले- दोनों देशों के बीच आसान होगा कारोबार, युवाओं को मिलेगा रोजगार, PM स्टार्मर बोले- भारत में कैंपस खोलेंगी ब्रिटेन की 9 यूनिवर्सिटी         देशभर में कफ-सिरप बनाने वाली कंपनियों की जांच करेगी सरकार, राज्यों से मांगी लिस्ट, 3 सिरप कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश-टीआर और रिलाइफ की बिक्री और प्रोडक्शन पर भी रोक, MP में अब तक 25 बच्चों की मौत       

तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन

जाकिर हुसैन ने अपनी कला से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। लोग उन्हें एक बेहतरीन तबला वादक के रूप में जानते हैं। उनके जाने से संगीत की दुनिया बहुत सूनी हो गई है।

Published: 16:48pm, 16 Dec 2024

महान तबला वादक (Tabla Maestro) ज़ाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का अमेरिका (USA) के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। ज़ाकिर हुसैन (Zakir Husain Death) भारतीय शास्त्रीय और विश्व संगीत में अपनी गहरी छाप छोड़ गए हैं।

9 मार्च, 1951 को मुंबई में जन्मे ज़ाकिर हुसैन प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे। उन्होंने कम उम्र में ही तबला सीखना शुरू कर दिया था और समय के साथ दुनिया के सबसे बेहतरीन तबलावादकों में शुमार हो गए। हुसैन की शानदार कला और नए अंदाज ने तबला वादन को रिवायती अंदाज़ से बदलकर एक विश्व प्रसिद्ध कला बना दिया।

अपने शानदार करियर के दौरान, ज़ाकिर हुसैन ने पंडित रवि शंकर, वायलिन वादक एल. सुब्रमण्यम और गिटार वादक जॉन मैकलॉफलिन जैसे प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम किया। उन्होंने फ्यूजन बैंड शक्ति (Shakti) की सह-स्थापना की, जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत को जैज़ और वेस्टर्न म्यूजिक के साथ जोड़ते हुए रिवायती संगीत की सीमाओं को तोड़ा।

ज़ाकिर हुसैन को अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिले, जिनमें पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002) और पद्म विभूषण (2023) शामिल हैं। वे इन तीनों नागरिक सम्मानों से सम्मानित होने वाले चुनिंदा कलाकारों में से एक थे। उन्होंने प्लैनेट ड्रम (Planet Drum) एलबम पर सहयोग के लिए ग्रैमी पुरस्कार भी जीता। उन्होंने दुनिया भर में भारतीय संगीत को एक नई पहचान दिलाई और तबले की बारीकियों की शिक्षा दी।

ज़ाकिर हुसैन के निधन से संगीत जगत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। कलाकारों, राजनेताओं और प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जब तक इस धरती पर लोगों के दिल धड़कते रहेंगे, उस्ताद की धुन जीवित रहेगी। ज़ाकिर हुसैन की आत्मा को छूने वाली थापें करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा गूंजती रहेंगी और संगीत की दुनिया में उनके योगदान को हमेशा ज़िंदा रखेंगी।

YuvaSahakar Desk

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x