उत्तराखंड सरकार ने राज्य की कृषि को नई दिशा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि प्रदेश में सुगंधित पौधों (एरोमैटिक प्लांट्स) की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “महक क्रांति नीति” का मसौदा तैयार किया गया है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। यह नीति वर्ष 2026 से 2047 तक लागू रहेगी और किसानों के लिए गेमचेंजर साबित होगी।
22,750 हेक्टेयर भूमि पर एरोमैटिक खेती का लक्ष्य
वर्तमान में उत्तराखंड में लगभग 9,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सुगंधित पौधों की खेती की जा रही है, जिसमें 25 हजार किसान सीधे जुड़े हुए हैं। सरकार का लक्ष्य अगले दस वर्षों में इसे बढ़ाकर 22,750 हेक्टेयर करना है। इससे 91 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
राज्य की जलवायु एरोमैटिक खेती के लिए अनुकूल
कृषि मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड की भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियां एरोमैटिक पौधों की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने भी चमोली के सुगंधित तेल और ऊधमसिंह नगर के पुदीना तेल को वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट योजना में शामिल किया है।
1050 करोड़ का कारोबार लक्ष्य
महक क्रांति नीति से एरोमैटिक उद्योगों को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। वर्तमान में इन उद्योगों का कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपये है, जिसे बढ़ाकर अगले चरण में 1,050 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर स्थित सिडकुल में पहले से ही कई ब्यूटी और वेलनेस से जुड़े उद्योग सक्रिय हैं, जिन्हें इस नीति से मजबूती मिलेगी।
जनपदवार विशेष वैली का विकास
नीति के अंतर्गत विभिन्न जिलों में औषधीय एवं सुगंधित पौधों की विशेष वेली (Valley) विकसित की जाएंगी। सुगंध पौधा केंद्र, सेलाकुई इस योजना का प्रमुख कार्यान्वयन केंद्र होगा और किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
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चमोली और अल्मोड़ा में 2,000 हेक्टेयर में डैमस्क रोज़ वैली
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चम्पावत और नैनीताल में 5,200 हेक्टेयर में सिनॉमन वैली
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पिथौरागढ़ में 5,150 हेक्टेयर में तिमूर वैली
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हरिद्वार एवं पौड़ी को मिलाकर 2,400 हेक्टेयर में लेमनग्रास वैली
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ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में 8,000 हेक्टेयर में मिंट वैली
किसानों की आय में होगी वृद्धि
सुगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान के अनुसार, प्रत्येक जिले की जलवायु का ध्यान रखते हुए विशेष पौधों की खेती को चयनित किया गया है। किसानों को न केवल बीज और पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे, बल्कि उन्हें प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की आधुनिक तकनीक पर भी प्रशिक्षित किया जाएगा।