उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण युवाओं और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की है। सरकार ने राज्य में “मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना” की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को देसी नस्ल की गायों की डेयरी यूनिट स्थापित करने पर सरकार द्वारा विशेष आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा।
योजना का उद्देश्य
योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और देशी नस्ल की गायों को संरक्षण एवं प्रोत्साहन देना है। साथ ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में दूध उत्पादन को बढ़ावा देकर दुग्ध उद्योग को प्रतिस्पर्धी स्वरूप प्रदान करना भी इसका प्रमुख लक्ष्य है। इस योजना से किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में स्थायी रोजगार एवं आय का स्रोत प्राप्त होगा।
कितनी मिलेगी सब्सिडी?
योजना के अंतर्गत एक यूनिट की कुल लागत 23 लाख 60 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इसमें से सरकार लाभार्थी को कुल लागत का 50% यानी 11 लाख 80 हजार रुपये का अनुदान देगी। यह सहायता दो किस्तों में उपलब्ध कराई जाएगी। शेष राशि की व्यवस्था इस प्रकार होगी –
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25% निवेश लाभार्थी को स्वयं करना होगा।
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35% ऋण बैंक द्वारा उपलब्ध होगा।
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50% अनुदान राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा।
इस तरह किसानों को डेयरी उद्योग शुरू करने में बड़ी वित्तीय मदद मिलेगी और वे आसानी से अपना व्यवसाय स्थापित कर पाएंगे।
किन गायों से करनी होगी शुरुआत?
लाभार्थियों को अपनी डेयरी इकाई 10 देसी नस्ल की गायों से प्रारंभ करनी होगी। इनमें विशेष रूप से साहिवाल, गिर और थारपारकर जैसी उच्च दुग्ध उत्पादन वाली भारतीय नस्लों को प्राथमिकता दी गई है। इससे न केवल दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन को भी बढ़ावा मिलेगा।
गायों की खरीद संबंधी शर्तें
योजना के अंतर्गत कुछ विशेष शर्तें भी निर्धारित की गई हैं –
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गायें उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर से खरीदी जानी अनिवार्य हैं।
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प्रत्येक गाय को टैगिंग और तीन वर्ष का बीमा होना आवश्यक है।
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खरीदी गई गाय का पहला या दूसरा ब्यांत होना चाहिए तथा यह ब्यांत 45 दिनों से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।
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खरीद प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी और संपूर्ण रिकार्ड रखना अनिवार्य होगा।
पात्रता
इस योजना का लाभ केवल पात्र आवेदकों को मिलेगा। इसके लिए सरकार ने निम्नलिखित योग्यताएं निर्धारित की हैं –
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लाभार्थी के पास कम से कम 3 वर्ष का गौपालन अनुभव होना आवश्यक है।
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यह अनुभव मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित होगा।
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आवेदक की आयु 18 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
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आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
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उसके पास पशुओं को रखने की उचित व्यवस्था एवं शेड होना अनिवार्य है।
आवेदन प्रक्रिया
योजना की पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होगी। इच्छुक उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट (नन्द बाबा दुग्ध मिशन) पर जाकर आवेदन फॉर्म भरना होगा और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। पात्रता की जांच के बाद योग्य किसानों का चयन लॉटरी प्रणाली द्वारा किया जाएगा।
योजना का महत्व
यह योजना ग्रामीण युवाओं और किसानों को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि राज्य में दुग्ध उत्पादन को भी नए आयाम प्रदान करेगी। देसी नस्लों को बढ़ावा मिलने से भारत की पारंपरिक गौ–संस्कृति मजबूत होगी और उच्च गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन संभव होगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका के अवसर भी बढ़ेंगे।