उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालन और दुग्ध क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 25 जून 2025 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में प्रदेशिक सहकारी डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझेदारी के तहत गोरखपुर, कानपुर, और कन्नौज के डेयरी प्लांट्स तथा अम्बेडकरनगर की पशु आहार निर्माणशाला का संचालन एनडीडीबी की विशेषज्ञता के साथ किया जाएगा। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, किसानों को उचित मूल्य और समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने, और युवाओं व महिलाओं के लिए रोजगार सृजन के लिए उठाया गया कदम है, जिसमें कोई अतिरिक्त सरकारी व्यय नहीं होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि यह साझेदारी उत्तर प्रदेश के दुग्ध क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि तकनीकी दक्षता, पारदर्शिता, और जनभागीदारी के साथ यह पहल दुग्ध उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। सीएम ने बताया कि यह कदम किसानों को स्थायी विपणन, समयबद्ध भुगतान, और बेहतर मूल्य प्रदान करेगा, जबकि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि यदि पशुधन संपदा और दुग्ध उत्पादन की क्षमता को वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जाए, तो उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी और वैश्विक डेयरी हब बन सकता है।
मुख्यमंत्री ने दुग्ध विकास में महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने झांसी की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी और गोरखपुर व आगरा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का उल्लेख करते हुए एनडीडीबी की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करेगी और उनके परिवारों की आय में वृद्धि करेगी। साथ ही, उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों की उदासीनता पर निशाना साधा, जिसने पशुपालन क्षेत्र को कमजोर किया। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं, जिससे पशुपालन अब युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह ने 2022 की वर्ल्ड डेयरी समिट, नोएडा में मुख्यमंत्री के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि गोरखपुर, कानपुर, और कन्नौज के डेयरी प्लांट्स तथा अम्बेडकरनगर की पशु आहार इकाई को लाभकारी और मॉडल इकाइयों के रूप में विकसित किया जाएगा। शाह ने कहा कि एनडीडीबी की विशेषज्ञता से इन इकाइयों में उत्पादन और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा, जिससे किसानों को बेहतर लाभ और उपभोक्ताओं को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पाद उपलब्ध होंगे।
इकाइयों का विवरण:
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कानपुर डेयरी प्लांट:
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लागत: ₹160.84 करोड़
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प्रसंस्करण क्षमता: 4 लाख लीटर प्रतिदिन
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गोरखपुर डेयरी प्लांट:
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लागत: ₹61.80 करोड़
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प्रसंस्करण क्षमता: 1 लाख लीटर प्रतिदिन
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कन्नौज डेयरी प्लांट:
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लागत: ₹88.05 करोड़
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प्रसंस्करण क्षमता: 1 लाख लीटर प्रतिदिन
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अम्बेडकरनगर पशु आहार इकाई:
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लागत: ₹18.44 करोड़
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बायपैक प्रोटीन फीड उत्पादन: 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन
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अनुमानित वार्षिक लाभ: ₹66.88 लाख
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ये इकाइयां पहले वाणिज्यिक बायर्स और लागत संबंधी चुनौतियों से प्रभावित थीं, लेकिन एनडीडीबी की विशेषज्ञता से अब ये पूर्ण क्षमता पर संचालित होंगी। इस साझेदारी से स्थानीय सहकारी समितियों की भागीदारी बढ़ेगी, संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, और उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। साथ ही, राजस्व साझेदारी मॉडल से राज्य और किसानों को समान लाभ होगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
यह साझेदारी उत्तर प्रदेश के दुग्ध क्षेत्र को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार और एनडीडीबी की यह संयुक्त पहल दुग्ध उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।