उत्तराखण्ड में जनवरी 2025 से सामान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह कानून बनाने वाला उत्तराखण्ड, देश का पहला राज्य बन जाएगा। देहरादून में उत्तराखंड निवेश एवं अवसंरचना विकास बोर्ड (UIIDB) की बैठक के दौरान धामी ने इस बात की घोषणा की और कहा कि राज्य में UCC पूर्ण रूप से लागू करने का समय आ गया है।
CM धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड वासियों की सुलभता को ध्यान में रखकर पोर्टल तथा मोबाइल एप भी तैयार किये गए हैं। इसके द्वारा पंजीकरण, अपील आदि की सभी सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। धामी ने बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया कि UCC के सभी प्रविधान लागू करने के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए जरूरी सुविधाएं जुटा ली जाए।
बता दें कि वर्ष 2022 में उत्तराखण्ड में नई सरकार के गठन के बाद केबिनेट की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये एक समिति के निर्माण का निर्णय लिया गया था। इसके पश्चात न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर इसी वर्ष फरवरी में राज्य विधानसभा में सामान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 विधेयक पेश किया गया। विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी थी।
उत्तराखंड के UCC में मुख्य रूप से महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित किया गया हैं। इसके द्वारा चार खंड जिसमें विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार, सहवासी संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) और विविध में विभाजित किया है। बालविवाह, बहुविवाह, तलाक, इद्दत, हलाला जैसी पिछड़ी प्रथाओँ पर रोक लगाई गई है। इसके अतिरिक्त विववाह पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। बहुविवाह पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।
CM धामी ने बताया है कि समान नागरिक संहिता अधिनियम के सभी नियम तैयार हो चुके है। जनवरी 2025 से सामान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी। उत्तराखंड का समान नागरिक संहिता कानून, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की मूल भावना पर चलते हुए समाज को नई दिशा देगा। यह कानून विशेषकर देवभूमि की महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण के नए द्वार खोलेगा।