भारत-अमेरिका (India-US Trade) व्यापार संबंधों में एक नए तनावपूर्ण दौर की शुरुआत आज से हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारतीय निर्यात (Indian Export) पर लगाया गया अतिरिक्त 25% टैरिफ (Additional Tariff) आज लागू हो गया है। इस तरह अब भारतीय वस्तुओं (Indian Products) पर अमेरिकी बाजार में कुल 50% आयात शुल्क लागू हो रहा है, जिससे भारत (India) उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अमेरिकी बाजार (US Market) में सबसे अधिक टैरिफ झेलने के लिए मजबूर हैं। इस सूची में अब तक ब्राजील प्रमुख देश था।
48 अरब डॉलर के निर्यात पर संकट
भारत का अमेरिका को लगभग 80 अरब डॉलर का वार्षिक निर्यात होता है, जिसमें से करीब 48 अरब डॉलर मूल्य के सामान सीधे इस टैरिफ के दायरे में आ गए हैं। भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार अमेरिका है और इस अतिरिक्त बोझ से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता पर गंभीर असर पड़ना तय है।
टैरिफ दो चरणों में लागू किए गए। जुलाई 2025 में पहला 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया और अगस्त में राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को रूस से तेल और हथियार आयात जारी रखने पर दूसरा 25% टैरिफ “जुर्माने” के तौर पर जोड़ दिया। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत का यह कदम अमेरिकी रणनीतिक हितों के विरुद्ध है, इसलिए आर्थिक दबाव डाला जा रहा है।
किन सेक्टरों को सबसे ज्यादा झटका
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, 12 प्रमुख सेक्टरों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। इनमें –
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कपड़ा और परिधान (10.9 अरब डॉलर)
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डायमंड और ज्वेलरी (10 अरब डॉलर)
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मशीनरी और उपकरण (6.7 अरब डॉलर)
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कृषि और प्रोसेस्ड फूड (6 अरब डॉलर)
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धातु उद्योग (स्टील, एल्युमीनियम, कॉपर) (4.7 अरब डॉलर)
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कार्बनिक रसायन (2.7 अरब डॉलर)
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समुद्री उत्पाद व झींगा (2.4 अरब डॉलर)
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हैंडीक्राफ्ट, कालीन और चमड़ा फर्नीचर (5 अरब डॉलर से अधिक)
इन क्षेत्रों में अमेरिका भारत का बड़ा खरीदार रहा है, लेकिन अब टैरिफ बढ़ने से इनकी मांग में गिरावट तय मानी जा रही है।
फार्मा-इलेक्ट्रॉनिक्स को राहत
कुछ सेक्टर्स जैसे फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद को टैरिफ से बाहर रखा गया है, जिनका मूल्य भारत के कुल निर्यात का लगभग 30% है। फिलहाल भारतीय दवा और आईटी हार्डवेयर उद्योग राहत की स्थिति में हैं।
70% तक गिर सकता है निर्यात
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, आगामी महीनों में भारत का अमेरिकी निर्यात 43% तक गिर सकता है, जबकि कुछ सामानों की निर्यात मात्रा 70% तक घट जाएगी। इसके असर की झलक पहले ही तिरुपुर (कपड़ा), सूरत (डायमंड), नोएडा (इलेक्ट्रॉनिक्स व परिधान), विशाखापत्तनम (समुद्री उत्पाद) और जोधपुर (हैंडक्राफ्ट) जैसे उत्पादन केंद्रों में दिखाई देने लगी है।
भारत की इस स्थिति का फायदा वियतनाम, बांग्लादेश, चीन, तुर्की, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों को हो सकता है। इन देशों पर अमेरिकी टैरिफ का बोझ अपेक्षाकृत कम है और वे भारतीय निर्यात के स्थान पर अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं।
भारत सरकार की रणनीति
भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए 25,000 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन पैकेज पर काम तेज कर दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इसके तहत –
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व्यापार वित्त और ऋण सुविधा में सुधार
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कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को GST राहत
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विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में सुधार
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‘ब्रांड इंडिया’ के तहत वैश्विक ई-कॉमर्स और वेयरहाउसिंग को समर्थन
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नए निर्यात बाजारों तक पहुंच बढ़ाई जाएगी
- स्वदेशी को बढ़ावा
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत किसी प्रकार की व्यापारिक प्रतिशोधी कार्रवाई नहीं करेगा, लेकिन निर्यातकों और उनके रोजगार की सुरक्षा के लिए नीतिगत, राजकोषीय और कूटनीतिक सभी संभव उपायों का सहारा लिया जाएगा। भारत ने अपने निर्यात को विविध बनाने और अमेरिका पर निर्भरता घटाने के लिए यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और एशियाई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की प्रक्रिया को तेज कर दिया है।
सरकार का मानना है कि यह संकट एक अवसर भी है, जहां घरेलू उत्पादन को मजबूत करने, विविधीकरण को बढ़ावा देने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मंत्रालयों और संस्थाओं के समन्वय से इस दिशा में कार्य प्रगति पर है, जिससे दीर्घकालिक रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक लचीली और प्रतिस्पर्धी बनेगी।