केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री (Minister Of State Of Co-Operation) कृष्ण पाल गूजर (Krishan Pal Gurjar) ने 3 फरवरी (सोमवार) को बहुप्रतीक्षित त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय बिल 2025 (Tribhuvan Sahkari University Bill 2025) लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया। इस बिल के पारित होने से देश में सहकारिता (Co-Operation) शिक्षा और सहकारी (Cooperative) क्षेत्र में तकनीकी दक्षता बेहतर होगी। लोकसभा में पारित होने के बाद बिल को राज्यसभा (Rajya Sabha) में प्रस्तुत किया जाएगा। दोनों सदनों में बिल के पारित होने के बाद इसे स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति (President Of India) के समक्ष पेश किया जाएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय बिल 2025 को संसद के दोनों सदनों में बिना किसी विरोध के पारित कर दिया जाएगा। वर्तमान में आणंद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट इरमा को त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित केंद्रीय यूनिवर्सिटी घोषित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।
बिल के अनुसार, त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय सहकारिता के क्षेत्र को बेहतर करने के लिए तकनीकि और प्रबंधकीय शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। सहकारिता शिक्षा के ढांचे को मजबूत कर देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह के सहकार से समृद्धि के संकल्प को पूरा किया जा सकेगा। सहकारिता विश्वविद्यालय देशभर में सहकारी प्रबंधन संस्थानों को जोड़ने की एक कड़ी के रूप में काम करेगा।
विधेयक में मौजूदा संस्थान को विश्वविद्यालय के स्कूलों में से एक घोषित किया गया है तथा इसकी स्थापना और कार्यप्रणाली से संबंधित मामलों को भी शामिल किया गया है। यह किसी भी प्राधिकरण द्वारा विनियमों के निर्माण का प्रावधान करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ इसके तहत बनाए गए क़ानूनों और अध्यादेशों के अनुरूप हैं।
विधेयक में विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करने और उचित वार्षिक खातों के रखरखाव को अनिवार्य बताया गया है। जिसका लेखा-जोखा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा किया जाएगा। वित्तीय गतिविधियों को संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय कोष की स्थापना भी स्वीकार की गई है। विश्वविद्यालय में किसी भी जाति, धर्म और समुदाय के छात्र प्रवेश के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप प्रवेश ले सकेगें।
केंद्र सरकार को विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली और प्रगति रिपोर्ट को जांचने का पूरा अधिकार होगा। विश्वविद्यालय में चासंलर व कुलपति के नियुक्ति को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। गुजरात स्थित इरमा को त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाएगा, जिसकी स्थापना वर्ष 1979 में अमूल के जनक डॉ वर्गीस कुरियन द्वारा की गई थी। इरमा की स्थापना में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट कोऑपरेशन, गुजरात सरकार और इंडियन डेयरी कॉरपोरेशन का विशेष योगदान रहा।