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सहकारिता की दूसरी क्रांति

सहकारिता को विस्तार देने के लिए कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना बहुत बड़ी पहल है। इसके माध्यम से युवा अपने करियर के लिए नया विकल्प चुन सकेंगे। जब तक युवा इस क्षेत्र से नहीं जुड़ेंगे तब तक इसका विस्तार लक्ष्य के अनुसार नहीं हो सकेगा। युवा इस क्षेत्र से तभी जुड़ेंगे जब उन्हें इसमें अपना भविष्य और करियर नजर आएगा।

Published: 12:42pm, 03 Aug 2025

भारतीय सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देने और ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने की जिस सोच के साथ केंद्रीय स्तर पर अलग सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई थी, वह अब आकार लेने लगा है। अलग मंत्रालय की स्थापना को सहकारिता की दूसरी क्रांति की शुरुआत कहा जाए, तो अतिरेक नहीं होगा। मंत्रालय की स्थापना (6 जुलाई, 2021) को चार साल पूरे हो चुके हैं।

इस दौरान मंत्रालय द्वारा सहकारी संस्थाओं की पुरानी कार्य प्रणाली को आधुनिक, पारदर्शी और कारगर बनाने के लिए सहकारिता की निचली इकाई पैक्स से लेकर शीर्ष इकाई अपेक्स तक में व्यापक सुधार करने को लेकर 60 से अधिक पहल की गई है। इन चार वर्षों में उठाए गए कदमों और आगे उठाए जाने वाले कदमों को लेकर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 30 जून को नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ मंथन बैठक की।   

सहकारी क्षेत्र की समीक्षा और भविष्य से जुड़ी नीतियों, नई पहलों एवं सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर दिन भर चली इस बैठक में गहन चर्चा हुई। इससे सहकारी विकास के लिए ठोस रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी। इसी बैठक में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने यह भी बताया कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द ही आने वाली है। यह नीति 2045 तक अमल में रहेगी। इसी के अनुसार हर राज्य अपनी-अपनी स्थिति के अनुरूप सहकारिता नीति बना सकेंगे और लक्ष्य निर्धारित कर सकेंगे।

केंद्र सरकार आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को एक आदर्श कोऑपरेटिव देश बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए पूरे देश में सहकारिता के क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम किया जा रहा है जिसमें नई सहकारिता नीति काफी मददगार साबित होगी। उम्मीद है कि यह नीति अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में घोषित हो जाएगी।  

सहकारी आंदोलन को मजबूती देने के लिए सरकार देश की सभी सहकारी संस्थाओं को सशक्त बना रही है। इसमें वर्ष 2025 का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान सहकारिता से देश की ज्यादातर आबादी, खासकर युवाओं को जोड़ने के लिए पहली बार कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई। सहकारिता क्षेत्र को विस्तार देने के लिए यह बहुत बड़ी पहल है। इससे न सिर्फ सहकारी शिक्षण और प्रशिक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसके जरिये युवा अपने करियर के लिए नया विकल्प भी चुन सकेंगे।

जब तक युवा इस क्षेत्र से नहीं जुड़ेंगे तब तक इसका विस्तार लक्ष्य के अनुसार नहीं हो सकेगा। युवा इस क्षेत्र से तभी जुड़ेंगे जब उन्हें इसमें अपना भविष्य और करियर नजर आएगा। इस यूनिवर्सिटी से युवा सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री कोर्स करने के साथ ही पीएचडी, रिसर्च आदि कर सकेंगे। स्कूली पाठ्यक्रम में भी सहकारिता को एक विषय के रूप में जोड़ने की पहल की जा रही है। आने वाले समय में सहकारी शिक्षा प्राप्त युवाओं को ही सहकारी संस्थाओं में नौकरी मिलेगी। इससे युवा इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होंगे। 

अभी सहकारी क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की बहुत कमी है। अलग मंत्रालय बनने के बाद जिस तरह से देशभर में सहकारी क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है, उससे अगले पांच वर्ष में सहकारी क्षेत्र को 17 लाख कुशल पेशेवरों की जरूरत होगी। ऐसे में यह क्षेत्र युवाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। 

लेखक: प्रकाश चंद्र साहू, अध्यक्ष, NYCS 

YuvaSahakar Desk

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