
समिति का मानना है कि एक अलग अनुसंधान परिषद के गठन से इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान आसान होगा और शोध को नई दिशा मिलेगी।
संसद की एक स्थायी समिति ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए एक स्वतंत्र अनुसंधान परिषद की स्थापना की सिफारिश की है। इस प्रस्तावित परिषद का नाम भारतीय मत्स्य एवं जलकृषि अनुसंधान परिषद (ICFAR) होगा और इसे मत्स्य पालन विभाग के तहत स्थापित करने की सलाह दी गई है। समिति का कहना है कि मछली पालन क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं और यह कृषि के साथ-साथ राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धन (GVA) में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत वर्तमान में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक मछली उत्पादन में 8% हिस्सा है। इसके अलावा, देश के कृषि राष्ट्रीय सकल मूल्य वर्धन में मत्स्य पालन का योगदान 6.724% तक पहुंच गया है।
फिलहाल, मत्स्य पालन से जुड़े शोध कार्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत संचालित होते हैं। हालांकि, समिति का मानना है कि एक अलग अनुसंधान परिषद के गठन से इस क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान आसान होगा और शोध को नई दिशा मिलेगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ICFAR की स्थापना के लिए केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी। स्थायी समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि इस समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक किया जाए।
इसके साथ ही, समिति ने दूध के दाम को लेकर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया कि खाद्य महंगाई की औसत दर की तुलना में दूध की कीमतों में वृद्धि काफी कम रही है। समिति ने सरकार से दूध खरीद एजेंसियों के मूल्य निर्धारण तंत्र की समीक्षा करने और किसानों के लिए बेहतर मुनाफा सुनिश्चित करने की मांग की है।
मछली संरक्षण के लिए समिति ने राज्यों से ‘न्यूनतम कानूनी जाल आकार (Minimum Legal Mesh Size)’ नियम लागू करने को कहा है। केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा जैसे राज्य पहले ही इस नियम को अपना चुके हैं, जिससे ट्रॉलिंग के दौरान छोटी मछलियों का शिकार रोका जा सकेगा। इसके अलावा, समिति ने केंद्र सरकार से मत्स्य पालन किसानों के लिए ब्याज मुक्त ऋण की संभावनाओं पर विचार करने का सुझाव दिया। कुछ राज्यों ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर मौजूदा 3% ब्याज सब्सिडी के अतिरिक्त 4% की छूट देकर इसे प्रभावी रूप से शून्य ब्याज दर वाला बना दिया है। समिति ने इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की वकालत की है, ताकि मत्स्य पालन किसानों को आर्थिक राहत मिल सके।
यह कदम न केवल मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करेगा, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इन सिफारिशों पर जल्द अमल करे।