भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सहकारी बैंकों के लिए व्यापार प्राधिकरण पर मसौदा मास्टर निर्देश जारी किया है, जिसका उद्देश्य नियमों को सरल बनाना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह दिशानिर्देश प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (UCB), राज्य सहकारी बैंक (StCB) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) पर लागू होंगे।
बैंक को जमा राशि के अनुसार चार टियर में बांटा जाएगा। टियर-1 में ₹100 करोड़ तक, टियर-2 में ₹100 करोड़ से ₹1,000 करोड़, टियर-3 में ₹1,000 करोड़ से ₹10,000 करोड़ और टियर-4 में ₹10,000 करोड़ से अधिक जमा वाले बैंक शामिल होंगे।
शाखा विस्तार के लिए Eligibility Criteria for Business Authorization (ECBA) अनिवार्य किया गया है, जिसमें पूंजी पर्याप्तता अनुपात, लाभ, कम NPA और दो पेशेवर निदेशक जैसे मानदंड शामिल हैं। ECBA अनुरूप बैंक बिना पूर्व अनुमति के सीमित विस्तार कर सकेंगे।
बैंकों को अब ATMs, CRMs लगाने व शाखाएं स्थानांतरित/बंद करने की छूट मिलेगी, लेकिन सूचना CISBI पोर्टल पर देनी होगी। सभी बैंकों को को-ऑपरेटिव बैंक शब्द प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इसके लिए 25 अगस्त तक सुझाव मांगा गया है।
आरबीआई ने खेती बैंक को क्रेडिट संस्थान का दर्जा देने से किया इनकार
भारतीय बैंक (RBI) ने देश के सबसे पुराने ग्रामीण ऋणदाताओं में शामिल राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (SCARDBs) को क्रेडिट सूचना कंपनियों (CICs) के तहत “क्रेडिट संस्थान” का दर्जा देने से इनकार कर दिया है।
SCARDBs और प्राथमिक कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (PCARDBs) को मिलाकर बना लॉन्ग टर्म कोऑपरेटिव क्रेडिट स्ट्रक्चर (LTCCS) देश में एक करोड़ से अधिक परिवारों को सेवा प्रदान करता है, लेकिन इन्हें अब तक CICRA अधिनियम, 2005 के तहत मान्यता नहीं मिली है।
इस कारण इनके लेनदेन क्रेडिट स्कोरिंग कंपनियों के डेटा में शामिल नहीं होते, जिससे डिफॉल्टर भी अन्य संस्थानों से आसानी से ऋण ले पाते हैं। नाफकार्ड (Nafcard) ने RBI से दोबारा अपील करते हुए कहा है कि SCARDBs को शामिल करने से क्रेडिट सिस्टम अधिक पारदर्शी और मजबूत बनेगा।
हाल ही में नाबार्ड की परामर्श सेवा NABCONS द्वारा की गई एक स्टडी ने भी SCARDBs को CIC सदस्यता देने की सिफारिश की थी। बावजूद इसके, RBI ने इसे फिलहाल असंभव बताया है और कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया है।