
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जानकारी दी कि अब रेपो रेट 6.25% से घटाकर 6.00% कर दी गई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने और आम लोगों की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम करने की दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है, जिसके बाद यह दर 6.25% से घटकर 6.00% हो गई है। इस साल यह दूसरी बार है, जब RBI ने ब्याज दरों में कमी की है। इस फैसले के साथ ही मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से मौद्रिक रुख को “न्यूट्रल” से “अनुकूल” करने का निर्णय लिया है, जो यह संकेत देता है कि भविष्य में और कटौती संभव है। वैश्विक व्यापार तनावों और अमेरिका के नए टैरिफ के बीच यह कदम अर्थव्यवस्था को सहारा देने की कोशिश है।
रेपो रेट क्या है और क्यों है अहम?
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब बैंकों को नकदी की जरूरत होती है, तो वे अपने सरकारी बॉन्ड्स गिरवी रखकर RBI से उधार लेते हैं। इस उधार पर लगने वाली ब्याज दर ही रेपो रेट कहलाती है। RBI इस दर को बदलकर अर्थव्यवस्था में पैसों की उपलब्धता और महंगाई को नियंत्रित करता है। अगर महंगाई बढ़ती है, तो रेपो रेट बढ़ाकर बाजार में नकदी कम की जाती है। वहीं, आर्थिक सुस्ती के दौरान इसे घटाकर बैंकों को सस्ता कर्ज दिया जाता है, जिससे लोन सस्ते होते हैं।
EMI में मिलेगी राहत ?
रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लिया है। इससे उनकी EMI कम हो सकती है, जिससे मासिक खर्चों में राहत मिलेगी। हालांकि, फिक्स्ड रेट लोन वालों पर कोई असर नहीं होगा। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, लेकिन यह अभी भी अपेक्षित स्तर से नीचे है। जरूरत पड़ी तो हम और कदम उठाएंगे।” इस कटौती से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की उम्मीद है।
मार्किट पर सीमित असर
रेपो रेट कटौती के बावजूद शेयर बाजार में खास हलचल नहीं दिखी। सेंसेक्स 125 अंक नीचे बंद हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार ने पहले ही 0.25% की कटौती की उम्मीद लगा ली थी, इसलिए यह पहले से ही कीमतों में समायोजित हो चुका था। बिकवाली का दबाव भी इसकी एक वजह रहा।
GDP और महंगाई के अनुमान में बदलाव
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर 4% तक रहने की उम्मीद जताई है। यह कदम अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने और वैश्विक चुनौतियों का जवाब देने की रणनीति का हिस्सा है।
आगे क्या?
इस कटौती से साफ है कि RBI आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे रहा है। सस्ते लोन से न केवल आम लोग बल्कि कारोबार भी लाभान्वित होंगे। अब नजर इस बात पर होगी कि RBI अपनी नीति में कितना और लचीलापन लाता है। यह कदम निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।