भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले पांच वर्षों में देशभर में 53 सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द किए हैं। यह जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट अभय कोलारकर द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई थी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में 8, 2022 में 12, 2023 में 17, 2024 में 11 और 2025 में अब तक 5 सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं।
इस आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया था कि RBI के अंतर्गत कितने सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, विदेशी बैंक और निजी बैंक पंजीकृत हैं। जवाब में RBI ने कहा कि यह जानकारी उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
साइबर क्राइम, फ्रॉड्स और डूबित कर्ज (NPA) से संबंधित जानकारी को लेकर पूछे गए सवालों पर RBI ने जवाब दिया कि इन आंकड़ों की जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है या संकलित नहीं की गई है।
हालांकि, रिजर्व बैंक ने वर्ष 2024-25 में बैंकों में दर्ज फ्रॉड से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े साझा किए। इस अवधि में विभिन्न वाणिज्यिक और AIFI बैंकों द्वारा कुल 1,79,269 फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए, जिनमें कुल राशि 36,361 करोड़ रुपये रही।
इनमें सबसे अधिक फ्रॉड एचडीएफसी बैंक में 39,822 मामलों के रूप में सामने आए, जिनमें 715.96 करोड़ रुपये की राशि फंसी। वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में 13,836 फ्रॉड केस में 7700.40 करोड़ रुपये की राशि का नुकसान हुआ, जो सबसे अधिक है।
इसके अलावा, 2024-25 के दौरान बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता वाले फ्रॉड के 3,148 मामले दर्ज हुए, जिनमें कुल राशि 644.95 करोड़ रुपये की रही।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले पांच वर्षों में किसी भी बैंक नोट या सिक्के को पूरी तरह से बंद नहीं किया गया है। हालांकि, 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की प्रक्रिया आरंभ की गई थी, लेकिन वे वैध मुद्रा बने रहे। 30 सितंबर 2023 को 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने संबंधी निर्देशों की समीक्षा की गई थी।