नई राष्ट्रीय सहकारी नीति में सहकारी बैंकों के बीच सहयोग बढ़ाने और किफायती क्रेडिट देने के उद्देश्य से एक APEX सहकारी बैंक की स्थापना की सिफारिश की गई है। यह नीति प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटीज (PACS), जिला सहकारी बैंक (DCCBs) और राज्य सहकारी बैंकों की तीन-स्तरीय संरचना को बनाए रखते हुए कार्य करेगी।
वर्तमान में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सभी सहकारी बैंकिंग संस्थानों पर निगरानी रखता है, लेकिन थ्रिफ्ट क्रेडिट सोसाइटी जैसी गैर-बैंकिंग सहकारी संस्थाओं पर राज्य सरकारों का अधिकार होता है।
नई नीति में कहा गया है कि APEX राष्ट्रीय सहकारी बैंक इन संस्थाओं की पूरी क्षमता को उजागर करने में मदद करेगा और पूंजी निर्माण, व्यावसायिकता और कारोबारी अवसरों को बढ़ावा देगा। यह नीति केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को जारी की।
PACS गांव स्तर पर कार्य करती हैं, DCCBs जिला स्तर पर और राज्य सहकारी बैंक राज्य स्तर पर। हालांकि, पंजीकरण और नियंत्रण की शक्ति राज्यों के पास होने से कई बार सहकारी संस्थाओं की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में कमी देखी जाती है।
नीति में एक टास्क फोर्स के गठन का भी प्रस्ताव है, जो सहकारी संस्थानों के सामने आ रही चुनौतियों जैसे कि जमा में गिरावट और भूमि विकास बैंकों की समस्याओं पर सुझाव देगी।
भारत में वर्तमान में 8 लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं हैं, जिनमें 2 लाख क्रेडिट और 6 लाख गैर-क्रेडिट सहकारी समितियां शामिल हैं। PACS ही अकेले 300 मिलियन से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बना चुकी हैं।
सहकार भारती के अध्यक्ष डीएन ठाकुर ने कहा कि यह नीति सहकारी क्षेत्र के लिए एक स्पष्ट और सुदृढ़ रूपरेखा प्रस्तुत करती है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस नीति का स्वागत करते हुए कहा कि यह किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी।