मधुबनी के मिथिला हाट में भारत के सहकारी आंदोलन को नई दिशा देते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने पांच बहु-राज्यीय सहकारी समितियों की शुरुआत की। इस ऐतिहासिक पहल का नेतृत्व वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम (WCOOPEF) और इसके संस्थापक बिनोद आनंद ने किया। खास बात यह रही कि इन समितियों में 50% से ज्यादा भागीदारी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों की है।
इस अवसर पर बिनोद आनंद ने कहा, “सच्चा न्याय तब होता है जब किसान सिर्फ उपज बेचने वाले नहीं, बल्कि शेयरधारक बनें, महिलाएं नेतृत्व करें और युवा बदलाव के वाहक बनें।”
पांचों समितियां अलग-अलग विकास के मुद्दों को हल करने के लिए बनाई गई हैं:
- हर खेत को पानी सहकारी समिति – इसका उद्देश्य है बारिश पर निर्भर खेती को बेहतर बनाना, जल संरक्षण और समान जल वितरण को बढ़ावा देना। यह “LiFE मूवमेंट” और जल-संवहनीयता से जुड़ी है।
- बायोफ्यूल मक्का सहकारी समिति – बिहार के मक्का किसानों को इथेनॉल अर्थव्यवस्था से जोड़ना इसका मकसद है। इससे किसान प्रोसेसिंग, कार्बन क्रेडिट और बेहतर आमदनी के भागीदार बनेंगे।
- मिथिला मखाना महिला सहकारी समिति – मखाना की प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट में महिलाओं को लीडर बनाकर यह समिति उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है।
- हॉर्टिकल्चर एक्सपोर्ट कॉरिडोर सहकारी समिति – फल और सब्जियों के छोटे किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने के लिए कोल्ड चेन, प्रोसेसिंग यूनिट्स और एक्सपोर्ट क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं।
- ग्रामीण ऊर्जा सहकारी समिति – यह समिति गांवों को सोलर और बायोगैस जैसी स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादक और उपभोक्ता बनाने की दिशा में काम करेगी।
कार्यक्रम में युवाओं के लिए ‘ग्रासरूट से ग्रेटनेस’ नाम से फुटबॉल टूर्नामेंट की भी शुरुआत हुई। इसके साथ ही 500 कॉलेज परिसरों में सहकारी मूल्यों को फैलाने के लिए “कैंपस कोऑपरेटिव अभियान” भी शुरू किया गया।
आखिर में पांच सेक्टरों पर आधारित पंचायती चर्चा आयोजित हुई, जो भविष्य में एक कोऑपरेटिव इकोनॉमिक ज़ोन की नींव रखेगी।
बिनोद आनंद ने कहा, “यह सिर्फ एक मॉडल नहीं, संविधान का कर्तव्य है – यह न्याय है, समानता है और गरिमा की स्थापना है।” मिथिला से शुरू हुआ यह आंदोलन अब “विकसित भारत @2047” की दिशा में पूरे देश का मार्गदर्शक बन रहा है।