भारत के प्रमुख संस्थान नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (NCUI ने तीन प्रमुख संस्थाओं के साथ महत्वपूर्ण समझौते किए हैं. NCUI के मुख्यालय में इन महतवपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जहां NCUI के अध्यक्ष दिलीप संघानी सहित अन्य तमाम लोग उपस्थित रहे. इस दौरान दिलीप संघानी ने कहा कि ये समझौते सहकारिता के क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाएंगे और देश के विकास में अहम साबित होंगे।
NCUI ने जो MOU साइन किए हैं, उसमें पहला समझौता राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी महासंघ (NCCF) के साथ हुआ, जिसका उद्देश्य NCUI के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘NCUI हाट’ के माध्यम से भारत ब्रांड उत्पादों का प्रचार और प्रसार करना है। NCCF की प्रबंध निदेशक अनिस जोसफ चंद्रा ने इस समझौते को दोनों संगठनों के लक्ष्यों को बढ़ावा देने के रूप में रेखांकित किया और कहा कि यह साझेदारी दोनों संगठनों के लिए लाभकारी साबित होगी।
NCUI ने दूसरा MOU लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के साथ साइन किया, जिसका लक्ष्य लद्दाख में सहकारी आंदोलन को मजबूत करना है. यह समझौता लद्दाख के स्थानीय उत्पादों, जैसे हस्तशिल्प और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए है, ताकि इन उत्पादों को व्यापक बाजारों तक पहुंचाया जा सके।
समझौते के बाद लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट ताशी ग्यालसन ने NCUI का धन्यवाद किया और कहा कि हमारी यह साझेदारी लद्दाख के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में मददगार साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि NCUI हाट के जरिए लद्दाखी उत्पादों को एक विस्तृत बाजार मिलेगा, जिससे स्थानीय उत्पादकों को आर्थिक लाभ होगा।
NCUI ने तीसरा समझौता हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र कौशल परिषद के साथ किया, जिसका उद्देश्य कारीगरों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह समझौता हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्रों में सहकारी प्रयासों को सशक्त बनाने के लिए किया गया है। यह पहल कारीगरों को नए कौशल सिखाने, प्रौद्योगिकी में सुधार लाने और उन्हें आधुनिक तकनीकों से लैस करने का प्रयास करेगी।
NCUI के CEO डॉ. सुधीर महाजन ने कहा कि ये जो MOU साइन किए गए हैं, ये “सहकार से समृद्धि” के मिशन का ही हिस्सा हैं, जो सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि ये समझौते NCUI की सहकारिता, कौशल विकास, और बाजार एकीकरण के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने की कोशिशों में मील का पत्थर साबित होंगे, जिससे भारत में आर्थिक और सामाजिक विकास के अवसर बढ़ेंगे।