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राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025: 6 स्तंभ, 16 उद्देश्य और 82 कार्य नीतियों से गांव-गांव पहुंचेगा सहकारी आंदोलन

नई नीति के माध्यम से राज्यों के सहकारिता कानूनों में आवश्यक सुधार किए जाएंगे, ताकि सहकारी समितियों को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और व्यावहारिक प्रणाली के अंतर्गत कार्य करने का अवसर मिले। समितियों के चुनाव, नौकरियों में नियुक्ति और प्रशासनिक निर्णय अब आंकड़ों के आधार पर निष्पक्ष रूप से लिए जाएंगे।

Published: 12:35pm, 05 Aug 2025

केंद्र सरकार (Central Government) ने सहकारी (Cooperatives) क्षेत्र को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 (National Cooperative Policy 2025) को लॉन्च किया है। यह नीति छह प्रमुख स्तंभों, 16 उद्देश्यों और 82 ठोस कार्यनीतियों पर आधारित है, जिसे अगले दस वर्षों में लागू किया जाएगा। इस नीति का प्राथमिक लक्ष्य देश के प्रत्येक व्यक्ति तक सहकारिता की पहुंच सुनिश्चित करना है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, ताकि सहकारी समितियां गांव-गांव तक फैल सकें और ग्रामीण जनता आर्थिक रूप से सशक्त हो सके।

सहकारिता आंदोलन की नींव का सशक्तीकरण

नीति का पहला और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है ‘सहकारी आंदोलन की नींव का सशक्तीकरण’। इसके तहत सहकारी समितियों को ग्रामीण स्तर तक विस्तारित करने पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के अनुसार, यह नीति सहकारी आंदोलन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सहकारी समितियों और रजिस्ट्रारों के बीच संचार अब डिजिटल माध्यमों जैसे पोर्टल, ईमेल और मोबाइल मैसेज के जरिए होगा। प्रत्येक राज्य को अपना डेटाबेस तैयार करने और उसे राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कमजोर सहकारी समितियों को पुनर्जनन के लिए राज्यों को आवश्यक व्यवस्थाएं बनाने का निर्देश दिया गया है।

कानूनी सुधार और पारदर्शिता

नई सहकारिता नीति के तहत राज्यों में सहकारी समितियों से संबंधित कानूनों में सुधार किया जाएगा। इसका उद्देश्य समितियों को बेहतर और पारदर्शी कार्यप्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। नीति के तहत निष्पक्ष चुनाव, स्वच्छ भर्ती प्रक्रिया और डेटा आधारित निर्णय लेने पर जोर दिया जाएगा। इससे सहकारी समितियां लोगों तक अपनी सेवाएं पूरी पारदर्शिता के साथ पहुंचा सकेंगी। साथ ही, नीति सहकारी समितियों के प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित है।

डिजिटल कार्यप्रणाली को बढ़ावा

सहकारिता मंत्रालय ने इस नीति के माध्यम से सभी सरकारी कार्यालयों में पेपरलेस और डिजिटल कार्यप्रणाली को लागू करने का लक्ष्य रखा है। इससे कार्यों में तेजी आएगी और प्रक्रियाएं अधिक सुगम होंगी। राज्यों को नई या उन्नत सहकारिता नीतियां बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सर्वोत्तम सहकारी प्रथाओं को अपनाने में सहायता प्रदान की जाएगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से सहकारी समितियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।

टैक्स से मिलेगी राहत

नीति के तहत सहकारी समितियों पर टैक्स के बोझ कम किया जाएगा, ताकि उन्हें कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह सुविधाएं और प्रोत्साहन मिल सकें। केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं को एकीकृत कर सहकारी समितियों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को सरकारी योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इससे उनकी भागीदारी बढ़ेगी और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे।

राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण

हर राज्य अपना सहकारी डेटाबेस तैयार करेगा जिसे राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) से जोड़ा जाएगा। इससे सूचनाओं का आदान-प्रदान सरल होगा और रजिस्ट्रार एवं समितियों के बीच संवाद पोर्टल, ईमेल और मैसेजिंग के माध्यम से डिजिटल रूप में होगा।

नीति के अंतर्गत जो सहकारी समितियां निष्क्रिय या कमजोर हो चुकी हैं, उन्हें दोबारा सक्रिय करने के लिए राज्यों को आवश्यक नीतिगत सहायता और ढांचा प्रदान किया जाएगा। इसके माध्यम से सहकारिता की पहुंच और भागीदारी में बड़ा विस्तार होगा।

राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 सहकारी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगी। यह नीति न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि सहकारी समितियों को आधुनिक और पारदर्शी प्रणाली के साथ जोड़ेगी। डिजिटल तकनीक और कानूनी सुधारों के माध्यम से यह नीति सहकारी आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी, जिससे देश की आर्थिक प्रगति में सहकारी क्षेत्र का योगदान और बढ़ेगा।

YuvaSahakar Desk

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