केंद्र सरकार MSME क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. इसी क्रम में भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना (MCGS-MSME) की स्वीकृति दी है. इस योजना से लघु, सूक्ष्म और माध्यम उद्यमों, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में लगे उद्यमों की वित्तीय पहुंच में बढ़ोत्तरी होगी. 2024-2025 के बजट में इसकी घोषणा की गई थी.
पारस्परिक ऋण गारंटी योजना के तहत उपकरण/मशीनरी की खरीद के उद्देश्य से MCGS-MSME के तहत पात्र MSME को 100 करोड़ रुपये तक की ऋण सुविधा हेतु राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋण संस्थानों (MLI) को 60% गारंटी कवरेज प्रदान किया जाएगा.
केंद्र सरकार द्वारा संयंत्र और मशीनरी/उपकरण की खरीद के उद्देश्य से ऋण की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाकर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ MSME के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी योजना (एमसीजीएस-एमएसएमई) शुरू की जा रही है.
क्या है MSME के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना ?
इस योजना के के तहत जो व्यक्ति ऋण लेना चाहता है, उसका उद्यम पंजीकरण संख्या वाला MSME होना चाहिए और गारंटीकृत ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए. इस ययोजना के अंतर्गत 50 करोड़ रुपये तक के ऋण की चुकौती अवधि 8 वर्ष तक होगी, जिसमें मूल किस्तों पर 2 वर्ष तक की स्थगन अवधि होगी.
MCGS-MSME योजना में गारंटी कवर हेतु आवेदन के समय ऋण राशि का 5% अग्रिम अंशदान जमा किया जाएगा. योजना के तहत ऋण पर सालाना गारंटी शुल्क स्वीकृति के वर्ष के दौरान शून्य होगा. अगले 3 साल के दौरान, यह पिछले वर्ष के 31 मार्च को बकाया ऋण का 1.5% हर साल होगा. इसके बाद, वार्षिक गारंटी शुल्क पिछले साल के 31 मार्च तक बकाया ऋण का 1% प्रति वर्ष होगा.
क्या होगा लाभ ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल से MSME क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं. PM मोदी का लक्ष्य भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाने के का है. MSME के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना से मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम भी तेजी से आगे बढ़ेगी