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ट्रंप ने माना टफ नेगोशिएटर PM मोदी की दृढ़ता का लोहा, कहा- अपने मित्र PM मोदी से बात करने को उत्सुक हूं, जल्द होगी ट्रेड डील

भारत और अमेरिका के रिश्तों में नई ऊष्मा का आगमन हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए मजबूत साझेदारी का विश्वास जताया है। प्रधानमंत्री मोदी के सशक्त नेतृत्व और दृढ़ संकल्प ने अमेरिका को भारत के साथ सहयोग की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।

Published: 12:15pm, 10 Sep 2025

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती साख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ नेतृत्व क्षमता का एक और प्रमाण सामने आया है। अमेरिका और भारत के रिश्तों में आई ठंडक के बाद अब नए युग की शुरुआत होती नजर आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार दिनों के भीतर दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट” भेजते हुए भारत के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की इच्छा जताई है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी की मजबूत कार्यशैली और स्पष्ट नीति के परिणामस्वरूप अमेरिका, भारत से सहयोग की नई संभावनाएं तलाश रहा है।

 राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50% तक का भारी टैरिफ लगाया था और व्यापारिक घाटे से लेकर रूस से तेल खरीद तक, भारत की नीतियों पर सवाल उठाए थे। लेकिन अब वही डोनाल्ड ट्रंप, भारत को “महान राष्ट्र” करार देते हुए प्रधानमंत्री मोदी को “बहुत अच्छा मित्र” बता रहे हैं। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर संदेश देते हुए कहा कि वे भारत-अमेरिका व्यापारिक बाधाओं को दूर करने की दिशा में आशावान हैं और आने वाले सप्ताहों में प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं।

ट्रंप ने लिखा है-

मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे दोस्त, प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

ट्रंप का यह बदलता रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ता और निर्णायक नेतृत्व को रेखांकित करता है। यह वही ट्रंप हैं जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक टिप्पणियां की थीं और टैरिफ बढ़ाकर दबाव बनाने का प्रयास किया था। किंतु प्रधानमंत्री मोदी ने किसी भी प्रकार के दबाव में आए बिना भारत के हितों को सर्वोपरि रखा और अपने मजबूत रुख के माध्यम से अमेरिका को भी नई सोच के लिए विवश कर दिया।

अमेरिकी मीडिया ने यह तक दावा किया था कि राष्ट्रपति ट्रंप कई बार प्रधानमंत्री मोदी से संपर्क साधने का प्रयास कर चुके, किंतु भारत ने किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं दिखाई और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री मोदी ने दृढ़ता और आत्मविश्वास से अपने निर्णयों पर कायम रहकर स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब “फॉलोअर” नहीं बल्कि “ग्लोबल लीडर” है।

इसका परिणाम भी दिखने लगा है। राष्ट्रपति ट्रंप जो कभी भारत को “डेड इकॉनमी” कहते थे, वही अब भारत को वैश्विक साझेदारी का महत्वपूर्ण केंद्र मान रहे हैं और जल्द से जल्द व्यापारिक समझौते की उम्मीद कर रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप को सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ा है कि वे प्रधानमंत्री मोदी से संवाद करने और भारत के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के इच्छुक हैं।

केंद्र सरकार की नीतियों के तहत, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आर्थिक सुधारों को गति दी है, जिससे देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा है। ट्रंप के पहले के बयानों, जैसे भारत को ‘डेड इकोनॉमी’ कहना, अब पीछे छूट चुके हैं, क्योंकि भारत की जीडीपी वृद्धि दर और निर्यात में वृद्धि ने दुनिया को चकित कर दिया है।

अब जब ट्रंप ने भारत को लेकर अपने रुख में बदलाव किया है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्रंप के संदेश का उत्तर सकारात्मक अंदाज में दिया है। प्रधानमंत्री ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा-

भारत और अमेरिका करीबी दोस्त और नेचुरल पार्टनर्स हैं। मुझे यकीन है कि हमारी ट्रेड बातचीत से भारत-अमेरिका साझेदारी की असीमित संभावनाओं के रास्ते खुलेंगे. हमारी टीमें जल्द से जल्द इस दिशा में चर्चा करने पर काम कर रही है। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बात करने को लेकर भी आशान्वित हूं. हम दोनों देशों के लोगों के लिए सुनहरे और अधिक समृद्ध भविष्य बनाने की दिशाओं में काम करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया चीन दौरे के बाद भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सकारात्मक बदलाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जिसमें रूस से तेल खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माना भी शामिल है। इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। हालांकि, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेकर पीएम मोदी ने परोक्ष रूप से ट्रंप को कड़ा संदेश दिया था। चीन दौरे से लौटने के बाद दोनों पक्षों से नरमी के संकेत मिल रहे हैं, जो दर्शाता है कि भारत की रणनीति प्रभावी रही है।

भारत ने टैरिफ विवाद में एक बार भी पीछे हटने से इनकार किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि दबाव में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। भारत ने साफ संदेश दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा में दृढ़ है। ट्रंप और अमेरिका इस बात से वाकिफ हैं कि भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ-साथ, रक्षा, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में उनका स्वाभाविक साझेदार है। ट्रंप यह भी जानते हैं कि एक व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी हो सकता है। इसलिए, वे संबंधों को और खराब करने का जोखिम लेना नहीं चाहेंगे। भारत ने इस मामले में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है और इसे अहंकार का विषय नहीं बनाया।

मोदी सरकार का यह निर्णायक और आत्मविश्वासी रुख साबित करता है कि भारत के सम्मान और हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल चुनौतियों का सामना कर रहा है, बल्कि उन्हें अवसरों में बदलकर आगे बढ़ रहा है। ट्रंप के बदले सुर से स्पष्ट है कि अमेरिका भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को स्वीकार कर रहा है। केंद्र सरकार इस साझेदारी को और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि दोनों देशों के नागरिकों को आर्थिक लाभ मिले और वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित हो।

YuvaSahakar Desk

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