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ग्रामीण आत्मनिर्भरता का केंद्र बन रहा डेयरी सेक्टर, भारत दुग्ध उत्पादन का वैश्विक चैंपियन बनाने में टॉप पर ये 5 राज्य

भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, और इस उपलब्धि के पीछे कुछ राज्यों की विशेष भूमिका रही है, जिन्होंने नीति, तकनीक और सामुदायिक प्रयासों से इस क्षेत्र को नई दिशा दी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य न केवल बड़े स्तर पर दूध उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि सहकारी मॉडल, नस्ल सुधार, प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं के माध्यम से इसे एक संगठित व्यवसाय का रूप दे रहे हैं।

Published: 09:00am, 21 Jul 2025

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र आज केवल पोषण का साधन नहीं रहा, बल्कि यह लाखों किसानों, खासकर ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए रोजी-रोटी का एक मजबूत आधार बन गया है। बीते कुछ वर्षों में डेयरी उद्योग ने भारत में अभूतपूर्व प्रगति की है, जिसने न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित किए, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दी है। यही कारण है कि भारत आज विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। डेयरी क्षेत्र ने ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह क्षेत्र अब केवल पारंपरिक पशुपालन तक सीमित नहीं है, बल्कि एक संगठित और लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभरा है।

भारत का दूध उत्पादन न केवल घरेलू मांग को पूरा करता है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस सफलता के पीछे कुछ राज्यों की मेहनत, नीतिगत पहल और तकनीकी नवाचारों का बड़ा योगदान है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य डेयरी क्षेत्र में अग्रणी हैं और भारत को वैश्विक मंच पर शीर्ष स्थान दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। आइए, इन राज्यों के प्रयासों और उनकी उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।

1. उत्तर प्रदेश: दूध उत्पादन का नेतृत्वकर्ता

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है, जो देश के कुल दूध उत्पादन का 16.21% हिस्सा योगदान करता है। इसकी विशाल ग्रामीण आबादी, उपजाऊ भूमि और पशुपालन की गहरी परंपरा ने इसे डेयरी क्षेत्र में अग्रणी बनाया है। राज्य सरकार द्वारा संचालित डेयरी प्रशिक्षण योजनाएं, पशु मेले और सहकारी समितियों ने इस क्षेत्र को और सशक्त किया है। उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति का अभिन्न अंग है। सहकारी समितियां और सरकारी योजनाएं किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जिससे उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो रही है।

2. राजस्थान: सहकारी मॉडल की ताकत

राजस्थान दूध उत्पादन में 15% हिस्सेदारी के साथ देश में दूसरे स्थान पर है। यहां की राठी और थारपारकर जैसी देशी गायों की नस्लें उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं। इस राज्य की खासियत यह है कि डेयरी क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है। सहकारी समितियों और सरकारी योजनाओं के समर्थन से राजस्थान ने आत्मनिर्भर डेयरी मॉडल को बढ़ावा दिया है। ये प्रयास न केवल दूध उत्पादन को बढ़ा रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त कर रहे हैं।

3. मध्य प्रदेश: युवाओं का नया बिजनेस मॉडल

मध्य प्रदेश 9% दूध उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर है। यहां मुर्रा भैंस और देशी गायों की उन्नत नस्लें पाई जाती हैं। उपजाऊ भूमि, जल संसाधन और डेयरी क्षेत्र में युवाओं की बढ़ती रुचि ने मध्य प्रदेश को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाया है। डेयरी अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि युवाओं के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गया है। राज्य सरकार की योजनाएं और प्रोत्साहन इस क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।

4. गुजरात: श्वेत क्रांति का गढ़

गुजरात देश के कुल दूध उत्पादन में 8% का योगदान देता है। अमूल जैसे विश्व प्रसिद्ध ब्रांड का जन्मस्थान होने के नाते, गुजरात ने भारत में श्वेत क्रांति की नींव रखी। यहां की सहकारी समितियां अत्यंत संगठित और ग्रामीण क्षेत्रों में गहरी पैठ रखती हैं। सरकारी योजनाओं और प्रोत्साहनों के कारण डेयरी फार्मिंग में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान कर रही है।

5. महाराष्ट्र: स्थिरता और विश्वास का प्रतीक

महाराष्ट्र 7% हिस्सेदारी के साथ देश में पांचवें स्थान पर है। यहां की सहकारी डेयरियां किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच प्रदान करती हैं। चुनौतियों के बावजूद, महाराष्ट्र ने डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और विश्वसनीयता बनाए रखी है, जो इसे इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनाता है

YuvaSahakar Desk

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