महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के शहरी सहकारी बैंकों (UCB) को राहत देते हुए एकमुश्त ऋण निपटान योजना (OTS) को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय सहकारी समितियों के आयुक्त और रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र राज्य, पुणे की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य बैंकों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के बोझ से मुक्त करना और अतिदेय ऋणों की वसूली को प्रभावी बनाना है।
2002 में शुरू हुई योजना
OTS योजना की शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया है, जिससे इसकी निरंतर उपयोगिता और प्रासंगिकता सिद्ध होती है। इस बार योजना के तहत पात्र ऋण खातों के लिए कटऑफ तिथि को 31 मार्च 2023 से बढ़ाकर 31 मार्च 2024 कर दिया गया है।
ब्याज दर में राहत, पुनर्भुगतान होगा आसान
योजना की शर्तों में भी संशोधन किए गए हैं। पहले जहां अतिदेय राशि पर 8% साधारण ब्याज वसूला जाता था, अब इसे घटाकर 6% कर दिया गया है। इससे कर्जदारों को पुनर्भुगतान में राहत मिलेगी और बैंक भी बेहतर वसूली कर सकेंगे।
मृतक उधारकर्ताओं के लिए विशेष प्रावधान
मृतक उधारकर्ताओं के मामलों में पहले की व्यवस्था के तहत खाते को ‘हानि परिसंपत्ति’ घोषित करने के बाद भी वसूली की जाती थी। लेकिन अब संशोधित OTS योजना के तहत, ऐसी वसूली ‘संदिग्ध-1’ वर्गीकरण की तिथि तक सीमित कर दी गई है। इसके बाद कोई ब्याज या शुल्क नहीं लिया जाएगा, जिससे मृतक कर्जदारों के परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
किन ऋणों पर लागू होगी योजना?
यह योजना उन सभी ऋणों पर लागू होगी जिन्हें 31 मार्च 2024 तक ‘संदिग्ध’ या ‘हानि संपत्ति’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, साथ ही वे ऋण भी जिन पर मुकदमा या वसूली की प्रक्रिया चल रही है।
हालांकि, निम्नलिखित श्रेणियों के ऋण इस योजना से बाहर होंगे:
-
RBI के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर दिए गए ऋण
-
वर्तमान या पूर्व निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को दिए गए ऋण (बिना RBI अनुमति के)
-
₹50 करोड़ से अधिक के ऋण, जब तक सहकारिता आयुक्त द्वारा विशेष अनुमति न दी जाए।
राशि भुगतान के लिए विकल्प
उधारकर्ता आवेदन करते समय कुल बकाया राशि का 5% अग्रिम जमा करेंगे। आवेदन स्वीकार होने के बाद दो विकल्प होंगे:
-
एक माह के भीतर पूरी राशि का भुगतान
-
25% अग्रिम, शेष राशि 11 मासिक किस्तों में (6% ब्याज सहित)
योजना में 12 माह की छूट अवधि भी दी गई है (10% ब्याज पर)। किस्तों में किसी भी प्रकार की देरी पर 2% दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा।
पारदर्शिता और निगरानी के सख्त प्रावधान
योजना स्वैच्छिक है, यानी केवल इच्छुक बैंक ही इसे लागू करेंगे। लेकिन एक बार योजना को अपनाने के बाद, सभी पात्र खातों पर समान रूप से इसे लागू करना अनिवार्य होगा।
इसके लिए हर बैंक में अध्यक्ष, 2–3 बोर्ड सदस्य और CEO की समर्पित उप-समिति बनाई जाएगी। आवेदन की निष्पक्ष समीक्षा की जाएगी और अस्वीकृत मामलों को लिखित रूप में स्पष्टीकरण देना होगा।
नए ऋण स्वीकृति पर रोक, गारंटर को भी अधिकार
OTS योजना के तहत बकाया राशि चुकाने में सहायता करने हेतु नए ऋण स्वीकृत करने पर रोक लगाई गई है। साथ ही यदि मूल उधारकर्ता अक्षम है, तो गारंटर को भी आवेदन करने की अनुमति दी गई है।
जनजागरूकता और जानकारी की पारदर्शिता
बैंकों को शाखाओं में योजना का विवरण प्रदर्शित करना होगा और उधारकर्ताओं के अनुरोध पर उन्हें विस्तृत खाता विवरण उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त, सभी निपटानों की जानकारी बैंक की आमसभा में प्रस्तुत करनी होगी। साथ ही UCB महासंघों को जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक लाभार्थी इससे जुड़ सकें।