
ग्रामीण पलायन की समस्या का समाधान और छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है।
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि जैविक खाद का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर के मिल्क कोऑपरेटिव, ग्रामीण डेयरियों और उन किसानों-पशुपालकों को सहकारिता से जोड़ना होगा जो अभी तक इससे बाहर हैं। आज भी कई किसान प्राइवेट डेयरियों को दूध बेचते हैं, लेकिन उनके गोबर का प्रबंधन सहकारिता क्षेत्र को करना चाहिए। इससे जमीन से जुड़ी कई समस्याएं हल होंगी और प्राइवेट सेक्टर की ओर जाने वाले किसानों को सहकारिता की ओर आकर्षित करने में भी सफलता मिलेगी।
डेयरी से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि बायोगैस उत्पादन के सफल प्रयोगों को दो वर्षों के लक्ष्य के साथ 250 जिला दुग्ध उत्पादक संघों में मॉडल के रूप में लागू करने की योजना बनानी चाहिए। इस अवसर पर बायोगैस से जुड़ी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की योजनाओं और NDDB तथा Sustain Plus परियोजनाओं की भी शुरुआत हुई।
गांव में ही बने फार्म से फैक्ट्री तक की पूरी चेन
अमित शाह ने कहा कि भारत की कृषि प्रणाली छोटे किसानों पर आधारित है। वहीं, गांवों से शहरों की ओर बढ़ता पलायन छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति से जुड़ा हुआ है। इस समस्या का समाधान कर छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है। डेयरी क्षेत्र की सभी संभावनाओं को पूरी तरह से उपयोग में लाने के लिए यह वर्कशॉप बेहद उपयोगी साबित होगी। अब समय आ गया है कि फार्म से फैक्ट्री तक की पूरी चेन ग्रामीण क्षेत्रों में ही विकसित की जाए।
गांव से ग्लोबल तक
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में खेती में खुशहाली की नई शुरुआत हुई है। गांव से ग्लोबल स्तर तक जाने का आत्मविश्वास भी बढ़ा है, और सहकारिता के माध्यम से सामूहिक सफलता प्राप्त करने का विश्वास भी मजबूत हुआ है। मोदी सरकार सहकार से शक्ति, सहकार से सहयोग और सहकार से समृद्धि के तीन सूत्रों के साथ-साथ ‘Profit for People’ के मंत्र को साकार कर रही है। सहकारिता का उद्देश्य केवल लाभ कमाना ही नहीं, बल्कि ‘People First’ की भावना को भी बढ़ावा देना है। इस मंत्र को हम सहकारिता के माध्यम से ही पूरी तरह से सच कर सकते हैं।