भारत का डेयरी क्षेत्र आज केवल ग्रामीण जीवन का सहारा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और पोषण सुरक्षा का भी स्तंभ बन चुका है। यह क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक किसानों, विशेषकर महिलाओं के लिए आजीविका का साधन है। पंजाब के रूपनगर जिले के अजौली गांव की गुरविंदर कौर इसकी मिसाल हैं। उन्होंने 2014 में डेयरी विकास विभाग से प्रशिक्षण लेने के बाद एक होल्स्टीन फ्रिसियन गाय से शुरुआत की। आज वह चार दुधारू गायों से प्रतिदिन लगभग 90 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं, जिसे वेरका डेयरी और स्थानीय उपभोक्ताओं तक पहुंचाती हैं। आधुनिक तकनीकों जैसे चाफ कटर, मिल्किंग मशीन और साइलेंज यूनिट का उपयोग कर उन्होंने यह साबित किया कि वैज्ञानिक तरीके अपनाकर मुनाफे को दोगुना किया जा सकता है। जानकारी केंद्र सरकार द्वारा PIB पर साझा की गई है।
दूध उत्पादन और आर्थिक योगदान
दूध को संपूर्ण आहार कहा जाता है, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लैक्टोज और वसा भरपूर मात्रा में मौजूद रहते हैं। बच्चों के विकास, हड्डियों की मजबूती और सक्रिय जीवन के लिए यह आवश्यक है। भारत कई दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है और वैश्विक आपूर्ति का लगभग 25% हिस्सा अकेले भारत देता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में डेयरी का योगदान लगभग 5% है।
2014-15 में भारत का दूध उत्पादन 146.30 मिलियन टन था, जो 2023-24 में बढ़कर 239.30 मिलियन टन हो गया है। यह 63.56% वृद्धि और 5.7% वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 322 ग्राम से बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है, जो विश्व औसत से कहीं अधिक है।
बोवाइन उत्पादकता और राष्ट्रीय गोकुल मिशन
भारत में वर्तमान में लगभग 303.76 मिलियन बोवाइन (गाय, भैंस, मिथुन और याक) हैं। 2014 से 2022 के बीच बोवाइन उत्पादकता में 27.39% वृद्धि दर्ज की गई, जो वैश्विक औसत 13.97% से काफी अधिक है। यह सफलता राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पशु स्वास्थ्य योजनाओं की बदौलत संभव हुई है। मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स के जरिए गांव-गांव में पशु चिकित्सा सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं। साथ ही, आयुर्वेद आधारित इथ्नो वेटरनरी मेडिसिन (EVM) पशुपालकों के लिए टिकाऊ और सस्ता विकल्प बन रही है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन को मार्च 2025 में 1000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि के साथ और मजबूत किया गया है। अब इसका कुल बजट 3400 करोड़ रुपये हो गया है। इसके तहत नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान और जीन संवर्द्धन पर विशेष बल दिया जा रहा है। अगस्त 2025 तक 9.16 करोड़ पशुओं पर 14.12 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं, जिससे 5.54 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। साथ ही, 22 आईवीएफ लैब स्थापित की गई हैं और सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक के जरिए अधिक मादा बछड़ों का जन्म हो रहा है।
सहकारी नेटवर्क और महिला सशक्तिकरण
भारत का डेयरी सहकारी नेटवर्क 2025 तक 22 मिल्क फेडरेशन्स, 241 जिला यूनियनों, 28 मार्केटिंग डेयरियों और 25 मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन्स (MPOs) से मिलकर बना है। यह 2.35 लाख गांवों और 1.72 करोड़ किसानों को जोड़ता है। इसमें महिलाओं की भागीदारी विशेष उल्लेखनीय है। लगभग 48,000 महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियां सक्रिय हैं। NDDB डेयरी सर्विसेज ने 23 MPOs में से 16 को पूरी तरह महिलाओं के नेतृत्व में स्थापित किया है। आंध्र प्रदेश की ऑल-वुमेन श्रीजा MPO को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है।
व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0 : नई दिशा
भारत में आधुनिक डेयरी क्रांति की नींव 1965 में आनंद (गुजरात) में NDDB की स्थापना और 1970 में ऑपरेशन फ्लड से पड़ी थी। इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए 25 दिसंबर 2024 को व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0 की औपचारिक शुरुआत की गई। यह योजना 2024 से 2029 तक चलेगी और 2028-29 तक सहकारी समितियों की दूध खरीद क्षमता 1007 लाख किलो प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
इस योजना के अंतर्गत 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियां गठित की जाएंगी और 46,422 मौजूदा समितियों को सशक्त किया जाएगा। साथ ही, तीन मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई जाएंगी, जो चारा उत्पादन, मिनरल मिक्स, ऑर्गेनिक खाद, बायोगैस उत्पादन और पशु अवशेष प्रबंधन पर कार्य करेंगी।