भारत का कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7% की वृद्धि के साथ 5.96 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़े देश के कृषि क्षेत्र की वैश्विक बाजार में बढ़ती पकड़ को दर्शाते हैं। चावल, भैंस के मांस और फल-सब्जियों की मांग इस वृद्धि के प्रमुख कारक रहे हैं।
चावल निर्यात में 3.5% की वृद्धि
सिर्फ चावल की बात करें तो इसका निर्यात इस तिमाही में 3.5% की बढ़ोतरी के साथ 2.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है, और वैश्विक व्यापार में इसका हिस्सा 40% से अधिक है। बीते वित्त वर्ष में भारत ने कुल 12.47 अरब डॉलर मूल्य का चावल निर्यात किया था, जो इस क्षेत्र में रिकॉर्ड स्तर है।
भारत की ओर बढ़ा वैश्विक झुकाव
बासमती राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, पंजाब के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन ने बताया कि म्यांमार और पाकिस्तान में स्टॉक की कमी के चलते वैश्विक खरीदार अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं। आगामी महीनों में निर्यात में और तेजी की उम्मीद जताई गई है।
फल-सब्जियों और डेयरी उत्पादों की मांग में तेजी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भैंस के मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 17% बढ़कर 1.18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। वहीं फल और सब्जियों का निर्यात भी 13% की वृद्धि के साथ 0.95 अरब डॉलर रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि भैंस के मांस की गुणवत्ता और पोषण मूल्य के चलते इसकी वैश्विक मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है।
एपीडा के तहत निर्यात 25 अरब डॉलर के पार
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के तहत आने वाले उत्पादों का निर्यात बीते वित्त वर्ष 2024-25 में 12% की वृद्धि के साथ 25.14 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो देश के कुल कृषि निर्यात का 51% है।
वहीं, शेष 49% में समुद्री उत्पाद, चाय, कॉफी और तंबाकू जैसे अन्य कृषि उत्पाद शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि केला, आम, प्रोसेस्ड फलों का जूस, सब्जियों के बीज और प्रोसेस्ड सब्जियों की वैश्विक मांग में तेजी दर्ज की जा रही है।