
सरकार के प्रस्तावित ड्राफ्ट का मुख्य उद्देश्य एक मजबूत रेगुलेटरी मैकेनिज्म विकसित करना, बुनियादी ढांचे का विस्तार करना और बाजार की पहुंच को बढ़ाना है।
केंद्र सरकार ने अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मत्स्य पालन मंत्रालय ने बजट के बाद कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर आयोजित वेबिनार में इन द्वीपों में मत्स्य पालन की संभावनाओं पर एक प्रस्तावित ड्राफ्ट पर चर्चा की। इस ड्राफ्ट का मुख्य उद्देश्य इन द्वीपों को मत्स्य पालन के केंद्र के रूप में विकसित करना है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले, रोजगार के अवसर बढ़ें और मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो।
वेबिनार में, स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। यह वर्चुअल इवेंट 1 मार्च को आयोजित किया गया था, जिसमें कृषि और ग्रामीण विकास के लिए 2025 के बजट की घोषणाओं को लागू करने पर हितधारकों के साथ चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन उपस्थित थे।
चर्चा के दौरान, राज्य मंत्री बघेल ने भारत के 2.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मौजूद समुद्री संसाधनों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सतत विकास के लिए किए जा रहे मत्स्य अनुसंधान पर प्रकाश डाला। जॉर्ज कुरियन ने मत्स्य पालकों की आय दोगुनी करने और अंडमान-निकोबार व लक्षद्वीप में फिशिंग क्लस्टर जोन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की।
मत्स्य सचिव अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र और खुले समुद्र में सतत मत्स्य पालन’ पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। इसमें सतत मत्स्य प्रबंधन, समुद्री खाद्य निर्यात और रोजगार के अवसरों पर चर्चा की गई। सत्र में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने, जहाजों की डिजाइनिंग, मत्स्य सहकारी समितियों के लिए ऋण की सुविधाएं और समुद्री संसाधनों के इस्तेमाल के लिए ऑफशोर तकनीकों पर भी चर्चा की गई।
सरकार द्वारा प्रस्तावित ड्राफ्ट का लक्ष्य नियामक तंत्र को मजबूत करना, बुनियादी ढांचे का विस्तार करना और बाजार पहुंच को बढ़ाना है। अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत को सतत और जिम्मेदार मत्स्य पालन के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने की योजना बनाई गई है।
यह पहल न केवल इन द्वीपों के आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में भी सुधार लाएगी। मत्स्य पालन क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, सतत मत्स्य प्रबंधन समुद्री संसाधनों के संरक्षण में भी मदद करेगा, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
सरकार का प्रस्तावित ड्राफ्ट रेगुलेटरी तंत्र को मजबूत करने, बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और बाजार तक पहुंच बढ़ाने पर केंद्रित है। अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप पर रणनीतिक फोकस के साथ, भारत को सतत और जिम्मेदार मत्स्य पालन के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाने की योजना है। इन प्रयासों से न केवल आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी, बल्कि इन द्वीपों के स्थानीय समुदायों का जीवन स्तर भी सुधरेगा।