मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने 24 सितंबर को पशुपालकों के लिए एथनो वेटरनरी मेडिसिन (ईवीएम) पर एक वर्चुअल जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम ‘जन-जन के लिए आयुर्वेद, धरती के लिए आयुर्वेद’ विषय के साथ संपन्न हो रहे 10वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) नेटवर्क के माध्यम से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएएचडी के सचिव नरेश पाल गंगवार ने की। इस अवसर पर 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 2,000 से अधिक सीएससी केंद्रों से जुड़े पशुपालकों सहित एक लाख से अधिक किसानों ने भागीदारी की।
अपने संबोधन में गंगवार ने आधुनिक पशु चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एथनो वेटरनरी मेडिसिन एक लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है। उन्होंने किसानों के साथ संवाद कर उन्हें पशु रोग प्रबंधन में ईवीएम को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डीएएचडी की अपर सचिव वर्षा जोशी ने गोजातीय स्तनदाह (बोवाइन मैस्टाइटिस) के इलाज में ईवीएम की भूमिका पर विशेष जोर दिया। उन्होंने बताया कि इससे सिंथेटिक एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता कम की जा सकती है और एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (एएमआर) की चुनौती से निपटने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक हर्बल उपचार न केवल सुरक्षित हैं बल्कि किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी लाभकारी हैं।
दसवें आयुर्वेद दिवस समारोह के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में औषधीय पौधों व जैव विविधता के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग का संदेश दिया गया। साथ ही आयुर्वेद-आधारित पशु चिकित्सा पद्धतियों पर विशेषज्ञ सत्र भी आयोजित किए गए।