सितंबर की शुरुआत के साथ ही देशभर में बारिश का सिलसिला जारी है और भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस पूरे महीने जमकर बारिश होने का अनुमान जताया है। अनुमान है कि सितंबर में देशभर में औसत वर्षा दीर्घावधि औसत (LPA) के 109 प्रतिशत से अधिक रह सकती है। सामान्यत: 1971 से 2020 के आंकड़ों के आधार पर सितंबर महीने का LPA लगभग 168 मिमी है। इस बार बारिश इससे काफी अधिक होने की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होगी, जिससे दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। वहीं पूर्वोत्तर, पूर्वी भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश की आशंका है।
भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने 1 सितंबर को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में अत्यधिक भारी बारिश (≥21 सेमी) का अलर्ट जारी किया है। 1 से 3 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी भारी बारिश होगी। 4 और 5 सितंबर को गुजरात और 3 से 6 सितंबर के बीच कोंकण-गोवा, मध्य महाराष्ट्र और तटीय कर्नाटक में भी भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है।
इसी तरह, 1 से 6 सितंबर तक पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, झारखंड और ओडिशा में भी तेज बारिश का दौर जारी रहेगा। वहीं असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी अगले सात दिनों तक झमाझम बारिश का अनुमान है।
राजस्थान में रिकॉर्डतोड़ बरसात
इस बार राजस्थान में बारिश ने पिछले 69 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जुलाई तक ही सामान्य से 177 प्रतिशत ज्यादा वर्षा दर्ज की गई थी।
धान किसानों की मुश्किलें – पूर्वांचल में कम बारिश
जहां एक तरफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश बारिश से तरबतर है और यहां सामान्य से 32 फीसदी अधिक बारिश हुई है, वहीं पूर्वांचल के जिलों में सूखे जैसे हालात हैं। देवरिया में सामान्य से 89% कम, कुशीनगर में 61% कम, संतकबीरनगर में 53% कम और गोरखपुर में 43% कम बारिश दर्ज की गई है। धान की खेती पर संकट गहरा गया है और किसान ट्यूबवेल व पम्पसेट से खेतों को बचाने में जुटे हैं।
कृषि पर असर और तापमान का अनुमान
सितंबर खरीफ फसलों के लिए बेहद अहम होता है। धान, मक्का, बाजरा और सोयाबीन जैसी फसलें पूरी तरह बारिश पर निर्भर रहती हैं। सामान्य से अधिक वर्षा जहां पैदावार बढ़ा सकती है, वहीं ज्यादा बारिश से बाढ़ और जलभराव फसलों को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
तापमान की बात करें तो पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से कम या सामान्य के आसपास रहेगा। जबकि पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।