
हाल ही में गपशप प्लेटफॉर्म ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर 'जागृति एआई चैटबॉट' लॉन्च किया है।
यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दौर है। जहां एक ओर AI लोगों की जिंदगी को आसान बना रहा है, वहीं विशेषज्ञ भविष्य में इससे जुड़ी चुनौतियों और खतरों को लेकर आगाह भी कर रहे हैं। भारत में एआई का तेजी से प्रसार हो रहा है और इसका उपयोग अब केवल तकनीकी जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आम उपभोक्ताओं की समस्याओं को हल करने और न्याय दिलाने में भी मदद कर रहा है। कस्टमर सर्विस से लेकर पब्लिक पॉलिसी तक, एआई चैटबॉट पारंपरिक क्षेत्रों को स्मार्ट और प्रभावी बना रहे हैं।
‘ग्राहक न्याय’ चैटबॉट: आईआईटी और एनएलएसआईयू की साझेदारी
AI के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत के दो प्रतिष्ठित संस्थान, आईआईटी बॉम्बे और एनएलएसआईयू बेंगलुरु, उपभोक्ताओं की समस्याओं को हल करने के लिए एआई पर काम कर रहे हैं। इन दोनों ने मेटा के लार्ज लैंग्वेज मॉडल ‘लामा 3.1’ की मदद से एक नया चैटबॉट ‘ग्राहक न्याय’ विकसित किया है। यह जेनरेटिव एआई पर आधारित चैटबॉट न केवल शिकायत दर्ज करने में मदद करता है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए कानूनी दस्तावेज, नोटिस और आवेदन तैयार करने में भी सहायता प्रदान करता है। यह तकनीक उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कब और कैसे शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने साल 2023 में पहली बार एआई का इस्तेमाल शुरू किया था, ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों को सुना जाए और उनका समाधान किया जा सके। इसके नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं। डिजिटल शिकायतों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है और समाधान की प्रक्रिया भी तेज हुई है। यह प्रोजेक्ट अब देशभर में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।
किसने बनाया ‘ग्राहक न्याय’?
इस चैटबॉट को आईआईटी बॉम्बे के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य और उनकी टीम ने तैयार किया है। वहीं, एनएलएसआईयू बेंगलुरु के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल हेमराजानी और उनकी टीम ने इसे कानूनी पहलुओं से जोड़ा और प्रशिक्षित किया। इस प्रोजेक्ट में उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय नॉलेज पार्टनर के तौर पर शामिल रहा। यह सहयोग तकनीक और कानून के क्षेत्र में एक अनूठा प्रयोग है।
एआई से क्या बदला?
एआई के आने से उपभोक्ताओं की समस्याओं में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं:
- दिसंबर 2015 में देश में 12,553 शिकायतें दर्ज होती थीं, जो अब बढ़कर 1,55,138 हो गई हैं।
- साल 2023 में शिकायतों के समाधान में औसतन 66.26 दिन लगते थे, जो 2024 में घटकर 48 दिन रह गए हैं।
- जिन कंपनियों के खिलाफ ज्यादा शिकायतें होती हैं, उन्हें ‘कन्वर्जेंस पार्टनर’ बनाया जाता है। 2017 में ऐसी कंपनियों की संख्या 263 थी, जो अब बढ़कर 1,038 हो गई है। एआई की मदद से ये कंपनियां उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्राथमिकता दे रही हैं।
सरकारी पोर्टल तक पहुंच से वंचित 53% लोग
एक सर्वे के मुताबिक, देश में 53% से ज्यादा लोग सरकारी पोर्टल का उपयोग नहीं कर पाते। ऐसे में एआई चैटबॉट उनकी राह आसान कर रहा है। हाल ही में गपशप प्लेटफॉर्म ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर ‘जागृति एआई चैटबॉट’ लॉन्च किया है। इसके अलावा, कानून के क्षेत्र में ‘न्याय गुरु’ देश का पहला एआई आधारित लीगल चैटबॉट है, जो लोगों को ऑनलाइन कानूनी सलाह देता है और उनके अधिकारों को समझने में मदद करता है।
‘ग्राहक न्याय’ का उपयोग कैसे करें?
‘ग्राहक न्याय’ चैटबॉट का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें:
- उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- होमपेज पर चैटबॉट का आइकन दिखेगा, उस पर क्लिक करें।
- एआई चैटबॉट के निर्देशों का पालन करते हुए अपनी शिकायत दर्ज करें और जरूरी विवरण भरें।
- चैटबॉट आपकी शिकायत के आधार पर कानूनी दस्तावेज, नोटिस या आवेदन तैयार करने में मदद करेगा।
- शिकायत की स्थिति और समाधान जानने के लिए पोर्टल पर लॉगिन करें।
उपभोक्ताओं के लिए नई उम्मीद
‘ग्राहक न्याय’ का मकसद उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान प्रदान करना है। यह एआई आधारित तकनीक न केवल शिकायतों को दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान बनाती है, बल्कि कानूनी सहायता भी मुहैया कराती है। भारत में एआई का यह बढ़ता उपयोग तकनीकी क्रांति का एक नया अध्याय लिख रहा है, जो भविष्य में और बड़े बदलाव ला सकता है।
AI का यह कदम उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। ‘ग्राहक न्याय’ चैटबॉट के माध्यम से अब न्याय तक पहुंचना और भी आसान और प्रभावी हो जाएगा।