भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा गुजरात के आनंद स्थित नवगठित “त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय” की पहली गवर्निंग बोर्ड का गठन कर दिया गया है। यह निर्णय “त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2025” की धारा 21(2) के तहत लिया गया है, जो 27 मई 2025 से प्रभावी होगा। यह पहल सहकारिता आंदोलन के इतिहास में एक ऐतिहासिक और संरचनात्मक परिवर्तन के रूप में देखी जा रही है।
गठित गवर्निंग बोर्ड में केंद्र सरकार के सहकारिता, कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण तथा मत्स्य पालन मंत्रालयों के सचिवों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कुलपति, वित्त अधिकारी और रजिस्ट्रार (सदस्य-सचिव) को भी स्थान मिला है। इसके अलावा NCDC, NDDB, NABARD, और भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बोर्ड का हिस्सा होंगे।
राज्यों को भी प्रतिनिधित्व देने की दृष्टि से मध्य प्रदेश, असम, केरल और गुजरात के सहकारिता विभागों के सचिवों को रोटेशन आधार पर बोर्ड में नामित किया गया है, ताकि क्षेत्रीय दृष्टिकोण भी नीति निर्माण में समाहित हो।
इसमें सहकारी क्षेत्र के प्रमुख नेताओं जैसे दिलीप संघानी (NCUI अध्यक्ष) और सतीश मराठे (RBI केंद्रीय निदेशक मंडल सदस्य) को भी शामिल किया गया है, जिससे व्यावहारिक अनुभव और वित्तीय अनुशासन को मजबूती मिलेगी।
IFFCO, KRIBHCO, NAFED और NCCF जैसे राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के अध्यक्षों को रोटेशन प्रणाली के तहत बोर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा।
महिला सशक्तिकरण और क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरस्वत सहकारी बैंक की एमडी एवं सीईओ आरती पाटिल और मणिपुर राज्य सहकारी संघ की उपाध्यक्ष जीना पोटसांगबम को भी बोर्ड में स्थान दिया गया है। इससे महिला नेतृत्व और पूर्वोत्तर भारत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।