
केंद्र सरकार की यह पहल एफपीओ को मजबूत करने और किसानों को सीधा बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
केंद्र सरकार ने कृषि उत्पादन और विपणन के बीच की खाई को पाटने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के तहत किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को कंपनियों से जोड़ने के लिए हर हफ्ते वेबिनार आयोजित किए जाएंगे। गुरुवार को आयोजित पहले ऑनलाइन सत्र में केंद्र सरकार ने मदर डेयरी को शामिल किया, जहां कंपनी ने FPO के साथ मिलकर सोयाबीन और सरसों की बिक्री में सहायता प्रदान करने की अपनी योजना साझा की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को प्रोसेसर और निर्यातकों से जोड़ना है, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो और FPO को एक स्थायी व्यवसाय मॉडल के रूप में विकसित किया जा सके।
5,400 से अधिक FPO ने लिया हिस्सा
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव मनिंदर कौर द्विवेदी द्वारा संचालित इस वेबिनार में तीन साल पहले शुरू की गई योजना के तहत पंजीकृत 10,000 FPO में से करीब 5,400 ने हिस्सा लिया। मनिंदर कौर ने बताया कि आने वाले दिनों में विभिन्न विषयों पर साप्ताहिक वेबिनार आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य किसानों की आय को बढ़ाना और उन्हें बड़े बाजारों से जोड़ना है। यह पहल FPO को एक मजबूत व्यवसाय मॉडल के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।” इस वेबिनार में FPO को प्रेरित करने के लिए सफल संगठनों के अनुभव भी साझा किए जाएंगे, ताकि अन्य FPO उनसे प्रेरणा ले सकें।
राजस्थान से 15,000 टन सरसों की खरीद करेगी मदर डेयरी
मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने वेबिनार में कंपनी की एक पायलट परियोजना की जानकारी दी। इसके तहत कंपनी अप्रैल में राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिलों से स्थानीय FPO सखी के माध्यम से 15,000 टन सरसों की खरीद शुरू करेगी। इस सरसों को अलवर में मौजूद कंपनी के प्रसंस्करण संयंत्र में प्रोसेस किया जाएगा और फिर इसे मदर डेयरी के लोकप्रिय ब्रांड ‘धारा’ के तहत बाजार में बेचा जाएगा। बता दें कि मदर डेयरी हर साल लगभग 2.50 लाख टन खाद्य तेल बेचती है, जिसमें सरसों और मूंगफली के तेल की हिस्सेदारी 60-70% है।
योजना का विस्तार और भविष्य की रणनीति
मनीष बंदलिश ने बताया कि यह खरीद अप्रैल से जून के बीच की जाएगी, जबकि पायलट परियोजना के परिणामों का विश्लेषण करने में 3-5 महीने और लगेंगे। इसके बाद अप्रैल 2026 से पहले इस योजना का विस्तार किया जाएगा। मदर डेयरी के मूल संगठन, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की योजना के अनुसार, कंपनी हरियाणा और गुजरात में केवल सरसों, महाराष्ट्र में केवल सोयाबीन, और मध्य प्रदेश व राजस्थान में सरसों व सोयाबीन दोनों की खरीद करेगी। यह कदम न केवल किसानों को बेहतर बाजार मूल्य दिलाएगा, बल्कि उनकी उपज को बड़े पैमाने पर प्रोसेसिंग और विपणन के लिए प्रोत्साहित भी करेगा।
कृषि सचिव ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव
वेबिनार में FPO को संबोधित करते हुए कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि FPO बनाना आसान है, लेकिन इसे जीवित रखना और किसानों से जोड़कर एक स्थायी व्यवसाय मॉडल बनाना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर FPO सीधे कंपनियों से इनपुट खरीदते हैं, तो वे खुदरा विक्रेताओं के 20-30% मार्जिन को कम कर सकते हैं। इससे FPO अपने सदस्यों को 10-15% की छूट दे सकते हैं और बाकी इनपुट को बाजार दरों पर बेचकर लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सफल FPO के अनुभवों को साझा करने के लिए उन्हें भविष्य के वेबिनार में आमंत्रित किया जाएगा, ताकि अन्य संगठन प्रेरित हो सकें।
यह पहल न केवल किसानों और कंपनियों के बीच की दूरी को कम करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मदर डेयरी जैसी कंपनियों के साथ मिलकर FPO नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।