भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह देवलोकवासी हो गए हैं. 92 वर्ष की आयु में मनमोहन सिंह AIIMS में अंतिम सांस ली. मनमोहन सिंह के निधन पर पूरा देश ग़मगीन है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी सहित राजनीति और विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों ने डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है. केंद्र सरकार ने मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिन राष्ट्रीय शोक घोषित किया है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा आधा झुका रहेगा. शनिवार को 11 बजे मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के एक ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनका स्वभाव विनम्र था, भाषा शैली सौम्य थी और आर्थिक मामलों में नीतिगत रूप से कुशल थे. RBI के गवर्नर, योजना आयोग के उपाअध्यक्ष, भारत सरकार के वित्त मंत्री और फिर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सामाजिक कल्याण के साथ ही आर्थिक समृद्धि और विश्व मानचित्र पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए जो कार्य किए, उसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह जी को हमेशा याद किया जाएगा.
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे. लोकसभा चुनाव 2009 में जीत हासिल करने के बाद वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था. उन्हें 22 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया जाता है. इसके बाद उन्होंने 22 मई 2004 को पहली बार भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला और 2014 तक इस पद पर बने रहे.
पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक मना रहा है. साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर मनमोहन सिंह के साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिसके कैप्शन में लिखा कि जब डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब मेरे और उनके बीच नियमित बातचीत होती थी. हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करते थे. उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता सदैव झलकती रहती थी. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके दोस्तों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं. ॐ शांति.
1971 में मनमोहन सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए. इसके बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई. वह जिन सरकारी पदों पर रहे उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी शामिल हैं. मनमोहन सिंह 1991 से 1996 के बीच भारत के वित्तमंत्री भी रहे. आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को दुनिया भर में आज भी सराहा जाता है.
अपने सार्वजनिक करियर में डॉ. मनमोहन सिंह को दिए गए कई पुरस्कारों और सम्मानों में से सबसे प्रमुख भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण (1987) था. इसके अलावा उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार, कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955) भी मिला था. उन्हें जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य देशों द्वारा सम्मानित किया गया था. डॉ. मनमोहन सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां भी प्रदान की गई थीं.