अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत आधारशिला पर अडिग खड़ी है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत से आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ-साथ एच1बी वीजा शुल्क को 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) तक बढ़ा दिया, जो भारत के लिए झटका बताया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, 1 अक्टूबर से विदेशी फार्मास्यूटिकल आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने का ऐलान भी भारतीय निर्यात को प्रभावित करने वाला है।
इस सबके बीच भारत सरकार का रुख साफ है कि अमेरिकी नीतियों के चलते भारत की विकास यात्रा को कोई नहीं रोक सकता। इसका बड़ा उदाहरण है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बेहतर कर रही हैं। फिच रेटिंग्स, ओईसीडी (OECD) और अब ईवाई (EY) ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर का संशोधित अनुमान जारी किया है जिसमें मजबूती दिखाई दी है।
EY ने बढ़ाया जीडीपी ग्रोथ अनुमान
वैश्विक परामर्शक कंपनी ईवाई (EY) ने अपनी ‘इकोनॉमी वॉच’ रिपोर्ट (सितंबर 2025) में कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7% रहेगी। इससे पहले इसे 6.5% आंका गया था। यह इजाफा 20 बेसिस प्वाइंट का है।
ईवाई ने स्पष्ट किया कि जून तिमाही में जबरदस्त 7.8% की वृद्धि, और 22 सितंबर से लागू जीएसटी 2.0 सुधारों के चलते मांग में उल्लेखनीय उछाल आया है। यही वजह है कि पूर्वानुमान को बढ़ाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है और आने वाले समय में घरेलू मांग नई ऊंचाइयां देगी।
फिच और OECD ने भी जताया भरोसा
इससे पहले फिच रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 6.9% कर दिया था। यह संशोधन जून तिमाही की बढ़ोतरी और मजबूत घरेलू मांग को देखते हुए किया गया।
वहीं, पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने भी अपने पूर्वानुमान को बढ़ाया है। उसने चालू वित्त वर्ष का अनुमान 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर पहले के 6.3% से 6.7% कर दिया। संगठन ने भी भारत सरकार द्वारा लागू जीएसटी सुधारों को मुख्य कारण बताया।
जीएसटी 2.0 से व्यापक लाभ
ईवाई इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने कहा है कि जीएसटी टैक्स स्ट्रक्चर में किए गए बदलाव से व्यापक राहत मिली है। नई दरें – 5%, 18% और 40% – लागू होने से उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई है। इसका सीधा लाभ ऑटोमोबाइल, कृषि मशीनरी, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र, खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य सेवाओं को हुआ है।
उन्होंने बताया कि कीमतों में कमी से रोजगार सृजन की संभावना बढ़ रही है। किसानों को उर्वरकों और कृषि उपकरणों की लागत कम होने का लाभ मिलेगा। साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। श्रीवास्तव ने कहा कि प्रारंभिक चरण में राजस्व पर हल्का असर पड़ सकता है, लेकिन मांग बढ़ने से यह घाटा स्वतः पूरा हो जाएगा।
वैश्विक चुनौतियों के बीच विविधीकरण आवश्यक
ईवाई ने आगाह किया है कि वर्तमान समय में अमेरिकी टैरिफ और शुल्क नीति ने नई अनिश्चितताएं खड़ी कर दी हैं। ऐसे में भारत को अपने निर्यात और आयात बाजारों का विविधीकरण करना आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान में विदेश व्यापार का बड़ा हिस्सा अमेरिका और चीन पर निर्भर है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को ब्रिक्स (BRICS) देशों सहित अन्य उभरते बाजारों में अवसर तलाशने चाहिए, ताकि अमेरिका और चीन पर निर्भरता घट सके और अर्थव्यवस्था को स्थायित्व मिल सके।