छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल की है। आदिवासी समुदाय की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य में दुधारू पशु प्रदाय योजना की शुरुआत की गई है। फिलहाल यह योजना कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, सारंगढ़-बिलाईगढ़, जशपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाई जा रही है।
इस योजना के तहत आजीविका संवर्धन, पोषण सुधार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी महिला किसानों को साहीवाल नस्ल की दो-दो दुधारू गायें प्रदान की जा रही हैं। योजना का संचालन छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक संस्था NDDB डेयरी सर्विसेज के सहयोग से किया जा रहा है।
14 जुलाई को कांकेर जिले के बड़गांव (पखांजूर) में आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र की 75 आदिवासी महिला किसानों को दुधारू गायें वितरित की गईं।
किसानों को देनी होगी केवल 10% राशि
योजना के तहत लाभार्थी किसानों को मात्र 10 प्रतिशत इकाई लागत चुकानी होगी। शेष राशि में से 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में और 40 प्रतिशत रियायती ब्याज दर पर ऋण के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के माध्यम से प्रदान की जाएगी। यह ऋण किसान दूध विक्रय से चुकता करेंगे।
एक वर्ष तक मिलेंगी नि:शुल्क सुविधाएं
डेयरी समग्र विकास योजना के अंतर्गत संचालित इस योजना में एक वर्ष तक कई सुविधाएं नि:शुल्क प्रदान की जाएंगी, जिनमें शामिल हैं:
- दुधारू गायों का बीमा
- पशु स्वास्थ्य निगरानी
- साइलेज चारा
- पौष्टिक आहार और खनिज मिश्रण
- वैज्ञानिक पशु प्रबंधन पर प्रशिक्षण
इसके अतिरिक्त, राज्य की पशु चिकित्सा टीमें नियमित रूप से पशु स्वास्थ्य सेवा और प्रजनन सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगी।