
बजट में सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। सहकारी संस्थाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।
मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार का दूसरा बजट (MP Budget 2025-26) विधानसभा में उप मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पेश किया। बजट की शुरुआत संस्कृत श्लोक से करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य विकसित मध्य प्रदेश बनाना है। यह बजट 4,21,032 लाख करोड़ रुपये का है।
प्रदेश के सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इस बजट को “सर्व हितैषी और सर्वकल्याणकारी” बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “ज्ञान पर ध्यान” मंत्र को इसमें आत्मसात किया गया है। यह बजट आर्थिक अनुशासन के साथ 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प की नींव रखेगा।
मंत्री सारंग ने बताया कि बजट में सहकारिता क्षेत्र को सशक्त करने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। सहकारी बैंकों को अंशपूंजी के लिए 1000 करोड़ रुपये, किसानों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान के लिए 694 करोड़ रुपये, प्राथमिक साख सहकारी समितियों को प्रबंधकीय अनुदान के लिए 149 करोड़ रुपये, आडिट बोर्ड के लिए 72 करोड़ रुपये और स्थापना व्यय के लिए 71 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4,500 प्राथमिक सहकारी समितियां सक्रिय हैं। वर्ष 2024-25 में इनके जरिए 33 लाख किसानों को 19,895 करोड़ रुपये का अल्पकालीन ऋण शून्य ब्याज दर पर दिया गया। “सहकारी बैंकों के माध्यम से अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान” योजना के लिए 694 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं। यह बजट सहकारिता के जरिए किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सहकारी संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम कदम है।
यह बजट मध्य प्रदेश को समृद्ध और सशक्त बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सहकारिता क्षेत्र के विकास से न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि राज्य की आर्थिक प्रगति को भी गति मिलेगी। यह बजट सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सहकारी संस्थाओं को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।