दक्षिण कन्नड़ उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को एक उपभोक्ता को खराब इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचने और निम्नस्तरीय सेवा प्रदान करने का दोषी ठहराया है।
मंगलुरु की एक सरकारी कंपनी में कार्यरत उदय कुमार बी.सी. ने 1.17 लाख रुपये में ओला स्कूटर खरीदा था। खरीद के एक माह के भीतर ही स्कूटर अचानक सड़कों पर बंद होने लगा, जिससे उन्हें भारी असुविधा हुई।
ओला कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बावजूद समस्या लगातार बनी रही। स्कूटर को रिपेयर के लिए लंबे समय तक रखने के बाद भी कोई स्थायी समाधान नहीं दिया गया। अंततः उपभोक्ता ने कानूनी नोटिस जारी कर उपभोक्ता न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के बाद आयोग ने माना कि ओला ने दोषपूर्ण वाहन बेचा और सेवा में लापरवाही की, जिससे उपभोक्ता को मानसिक व शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ी।
जम्मू–कश्मीर हाईकोर्ट का मारुति सुजुकी पर सख्त फैसला,
दोषपूर्ण कार बेचने और वारंटी में उत्पीड़न पर 1.65 लाख का मुआवजा
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड और उसके डीलर को एक उपभोक्ता को दोषपूर्ण कार बेचने और वारंटी अवधि के दौरान बार-बार उत्पीड़न करने पर 1.65 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव कुमार और न्यायमूर्ति संजय परिहार की खंडपीठ ने आदेश दिया कि कंपनी उपभोक्ता को 1 लाख रुपये और उसके डीलर 65 हजार रुपये का भुगतान एक माह के भीतर करें। यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया तो राशि पर 6% वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
मामला 8 अगस्त 2014 को खरीदी गई मारुति स्विफ्ट डीजल कार से जुड़ा है। उपभोक्ता ने शिकायत की थी कि कार में हॉर्न और बैटरी सहित कई तकनीकी खराबियाँ लगातार आती रहीं। दो साल की वारंटी अवधि में वाहन को 18 बार वर्कशॉप ले जाना पड़ा।
जिला उपभोक्ता मंच ने पहले कार बदलने या पूरी कीमत लौटाने का आदेश दिया था। बाद में राज्य उपभोक्ता आयोग ने राहत घटाकर 65 हजार रुपये कर दी। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा अपर्याप्त है और इसे बढ़ाकर 1.65 लाख रुपये कर दिया।
कोर्ट ने माना कि उपभोक्ता को लगातार उत्पीड़न और मानसिक तनाव झेलना पड़ा, इसलिए अधिक मुआवजे का हकदार है।