जौनपुर के बदलापुर पड़ाव स्थित वी-मार्ट शॉपिंग मॉल पर उपभोक्ता से कैरी बैग के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूलना भारी पड़ गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए मॉल प्रबंधन को दोषी ठहराया और मैनेजर को 3007 रुपये मुआवजे के रूप में अदा करने का आदेश दिया।
मामला कैसे शुरू हुआ
जोगियापुर निवासी और दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने 18 अगस्त 2024 को वी-मार्ट से 799 रुपये की खरीदारी की थी। बिल चुकाने के बाद उनसे सात रुपये अतिरिक्त कैरी बैग शुल्क वसूला गया। अधिवक्ता ने इसे अनुचित व्यापारिक व्यवहार बताते हुए 26 नवंबर 2024 को जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दाखिल किया।
नियमों की आड़ में वसूली
वी-मार्ट प्रबंधन का नियम है कि ग्राहक अपने साथ बाहरी कैरी बैग अंदर नहीं ले जा सकते। ऐसे में ग्राहकों को मजबूरी में उनका कैरी बैग खरीदना पड़ता है। खास बात यह रही कि मॉल ने न तो खरीदारी से पहले और न ही दौरान में शुल्क की स्पष्ट जानकारी दी। अधिवक्ता का आरोप था कि यह सीधे-सीधे उपभोक्ताओं को भ्रमित कर अतिरिक्त पैसा वसूलने की रणनीति है।
राष्ट्रीय आयोग के फैसले का हवाला
याचिकाकर्ता ने आयोग को खरीदारी की रसीद दिखाई और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के 22 दिसंबर 2020 के फैसले का हवाला दिया। उस निर्णय में स्पष्ट किया गया था कि दुकानदार ग्राहकों को जबरन कैरी बैग खरीदने पर मजबूर नहीं कर सकते। यदि सामान रखने के लिए बैग की जरूरत हो तो दुकानदार को निशुल्क उपलब्ध कराना होगा।
आयोग का निर्णय
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और सदस्य गीता ने पूरे प्रकरण की समीक्षा कर वी-मार्ट प्रबंधन को दोषी ठहराया। आयोग ने माना कि सात रुपये कैरी बैग शुल्क अनुचित व्यापारिक व्यवहार है। आदेश में कहा गया कि वी-मार्ट मैनेजर को एक माह के भीतर अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव को 3007 रुपये मुआवजा अदा करना होगा।