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आदिवासी मुख्यमंत्री ने जगाया बस्तर में बदलाव का भरोसा

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में बस्तर नक्सलवाद से बाहर निकलकर निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार का नया केंद्र बन रहा है। औद्योगिक नीति 2024 और पुनर्वास योजनाओं से समावेशी विकास और शांति की दिशा में छत्तीसगढ़ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

Published: 10:06am, 06 Oct 2025

 

-नक्सल उन्मूलन से समावेशी विकास की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा बस्तर

-औद्योगिक नीति 2024 से निवेश, विकास और विश्वास की मिली नई पहचान

आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का भाजपा का फैसला सफल होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों से बस्तर अब भय और पिछड़ेपन से निकल कर विकास और विश्वास के नए धरातल पर खड़ा है और शांति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कभी उपेक्षा और अभाव की पहचान से जूझने वाला यह क्षेत्र अब निवेश, अवसर और रोजगार का नया केंद्र बन रहा है।

मुख्यमंत्री के प्रति प्रदेश के लोगों में बढ़ता भरोसा और केंद्र सरकार के नक्सल विरोधी अभियानों से न केवल इस क्षेत्र में उद्योग और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, कृषि और पर्यटन तक हर क्षेत्र में बदलाव दिखने लगा है, बल्कि उम्मीद और विश्वास की नई किरण जगी है। पिछले 20 महीनों में मुख्यमंत्री बस्तर के 100 से अधिक इलाकों का दौरा कर चुके हैं। इन दौरों ने उन पर जनता का भरोसा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति

क्षेत्र में नक्सलवाद पर नियंत्रण ने विकास कार्यों की राह सुगम की है। इसी का नतीजा है कि बस्तर संभाग के जगदलपुर में पहली बार 350 बेड का मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एवं मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जा रहा है। इस पर 550 करोड़ रुपये की लागत आएगी और 200 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

इसी क्रम में जगदलपुर में नवभारत इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा 85 करोड़ रुपये के निवेश से 200 बेड का मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और 33 करोड़ रुपये के निवेश से एक अन्य मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाया जा रहा है। यहां पर 7.65 करोड़ रुपये के निवेश से नमन क्लब एवं वेलनेस सेंटर भी शुरू होने जा रहा है। इन परियोजनाओं से बस्तर में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं एवं वेलनेस का विस्तार होगा और सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिलेगा। यहां की जनता भी अब हिंसा से ऊब कर इस नए बदलाव को सहर्ष स्वीकार कर रही है। 

खाद्य प्रसंस्करण एवं डेयरी का नया युग

छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है और इसे धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विस्तार जरूरत के अनुसार नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री ने इस कमी की भरपाई करने की योजना बनाई और इसी के तहत बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, बस्तर और कोण्डागांव जिलों में आधुनिक राइस मिल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना की जा रही है। नारायणपुर की पार्श्व एग्रीटेक कंपनी 8 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है जिससे 2400 टन प्रतिवर्ष परबॉयल्ड राइस का उत्पादन होगा।

इसी तरह, कोण्डागांव में लावण्या उद्योग द्वारा 2.3 करोड़ रुपये के निवेश से मसाला ग्राइंडिंग एवं प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जा रही है। बस्तर डेयरी फार्म 5.62 करोड़ रुपये के निवेश से डेयरी उत्पादों का उत्पादन और प्रसंस्करण करेगी। इन उद्योग इकाइयों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। 

निवेश का नया गढ़ 

बस्तर में कुल मिलाकर 967 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिससे 2000 से अधिक स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर और अप्रत्यक्ष तौर पर अन्य हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, पर्यटन, निर्माण, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, कोल्ड स्टोरेज, फर्नीचर, कृषि यंत्र और शिक्षा जैसे हर क्षेत्र में हो रहा निवेश बस्तर को एक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।

यह केवल उद्योगों का विस्तार नहीं, बल्कि नया बस्तर बदलता बस्तर की सजीव झलक है। कानून व्यवस्था की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार के बाद सरकार की स्कीमों के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। खुद मुख्यमंत्री की छवि इसमें प्रभावी साबित हो रही है क्योंकि आदिवासी समाज से आने की वजह से वह इस इलाके की जमीनी समस्याओं से वाकिफ हैं और उन्हीं के अनुरूप नीतियां बना रहे हैं।

छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास नीति 2024 के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली या 1000 से अधिक रोजगार सृजित करने वाली परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। इस नीति में औषधि निर्माण, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र उद्योग, आईटी एवं डिजिटल तकनीक, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस व डिफेंस और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। पर्यटन को भी उद्योग का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके तहत बस्तर में होटल, इको-टूरिज्म, वेलनेस सेंटर, एडवेंचर स्पोर्ट्स और खेल सुविधाओं जैसी परियोजनाओं पर 45 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। 

समावेशन को बढ़ावा देने के लिए इस नीति में विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलेगी। जबकि नक्सलवाद से प्रभावित परिवारों और व्यक्तियों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा।

यह सरकार की सामाजिक पुनर्वास और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक अभिनव पहल के रूप में नई औद्योगिक इकाइयों में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने पर पांच वर्षों तक उनके वेतन पर 40 प्रतिशत सब्सिडी (अधिकतम 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष) उपलब्ध कराई जाएगी। राज्य सरकार की उद्योग नीति ने न सिर्फ बस्तर में, बल्कि पूरे प्रदेश में निवेश, नवाचार और रोजगार के लिए नए द्वार खोले हैं।

नक्सल उन्मूलन और पुनर्वास नीति 

केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। राज्य का बस्तर संभाग ही अब नक्सल गतिविधियों का केंद्र है। यहां भी दिसंबर 2023 से सुरक्षा बलों की लगातार आक्रामक रणनीति के परिणामस्वरूप नक्सल उन्मूलन अभियान में उल्लेखनीय सफलता मिली है।हाल ही में एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली के साथ दस नक्सलियों को ढेर कर दिया गया।

इससे पहले  453 माओवादी ढेर किये गए, 1616 गिरफ्तार किए गए और 1666 ने आत्मसमर्पण किया है। बस्तर में न केवल नक्सलियों की गतिविधियों को कमजोर किया गया है, बल्कि विकास का माहौल भी तेजी से बन रहा है। पिछले 20 महीनों में 65 नए सुरक्षा कैम्प स्थापित किए गए हैं, जिनसे दुर्गम इलाकों में सुरक्षा का दायरा बढ़ा है और ग्रामीणों में आत्मविश्वास की भावना मजबूत हुई है। 

आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के लिए घोषित नई पुनर्वास नीति ने उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का बेहतर अवसर प्रदान किया है। नई नीति में वित्तीय सहायता बढ़ाई गई है और आवास व भूमि का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इसके परिणामस्वरूप आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

नई नीति में आत्मसमर्पण करने वालों को तीन वर्षों तक प्रतिमाह 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता, शहरी क्षेत्र में चार डिसमिल जमीन या ग्रामीण क्षेत्र में एक हेक्टेयर कृषि भूमि उपलब्ध कराने का फैसला विष्णु देव साय सरकार ने किया है। साथ ही, नक्सल मुक्त घोषित गांवों में एक करोड़ रुपये के विकास कार्य स्वीकृत किए जाएंगे। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आत्मसमर्पित नक्सलियों और हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए 15 हजार आवास स्वीकृत किए गए हैं।

लेखिका: आभा मिश्रा, निदेशक, पॉलिसी वाच इंडिया फाउंडेशन

YuvaSahakar Desk

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