कृषि अर्थव्यवस्था और किसान कल्याण को सुदृढ़ बना रही सरकार
फसल कटाई के बाद सीजीएस-एनपीएफ वित्तपोषण और कृषि सहायता को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसानों की आर्थिक मदद करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए लगातार नए प्रयास कर रही है। अब केंद्र सरकार ने फसल कटाई के बाद किसानों के वित्तीय मदद के लिए 1000 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी स्कीम की शुरुआत की है। इस स्कीम से किसानों को इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रसीदों का लाभ उठाकर फसल कटाई के बाद कर्ज प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत किसान ई-एनडब्ल्यूआर से समर्थित डब्ल्यूडीआरए द्वारा मान्यता प्राप्त गोदामों में भंडारित की गई अपनी फसल को गिरवी रखकर ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
संकटग्रस्त बिक्री को कम करने के उद्देश्य से यह पहल कृषि वित्त व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो गोदाम पंजीकरण और कृषि क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करती है। सीजीएस-एनपीएफ योजना किसानों को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर भारत की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती है। इस योजना का उद्देश्य फसल कटाई के बाद ई-एनडब्ल्यूआर पर ऋण में वृद्धि करके, किसानों की आय में सुधार करना और संस्थागत ऋण तक उनकी पहुंच बढ़ाना है।
समावेशिता पर केंद्रित यह योजना मुख्य रूप से छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) किसानों को न्यूनतम गारंटी शुल्क के साथ लाभान्वित करती है। यह छोटे व्यापारियों (एमएसएमई), किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान सहकारी समितियों को भी अपने लाभ प्रदान करता है। यह योजना समान वित्तीय पहुंच का समर्थन करते हुए छोटे ऋणों के लिए उच्च गारंटी कवरेज सुनिश्चित करती है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि किसानों द्वारा मजबूरी में की गई बिक्री को कम करने के लिए इस फंड की शुरुआत की जा रही है। इस गारंटी में छोटे और सीमांत किसानों को दिए जाने वाले 75 लाख रुपय तक लोन और गैर कृषि व्यापारियों को दिए जाने वाले 2 करोड़ रुपये तक के लोन शामिल हैं। ऐसे लोन के लिए ब्याज दर बैंकों द्वारा ली जाने वाली न्यूनतम ब्याज दर के अलावा अधिकतम 3% प्रति वर्ष तक सीमित है।
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह पहल भारतीय कृषि को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक प्रयासों का समर्थन करती है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में मौजूदा कीमतों पर समग्र सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 17.7% का योगदान देती है। यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, जो लगभग आधी आबादी को रोजगार देता है। इसके महत्व को पहचानते हुए सरकार उत्पादकता बढ़ाने, वित्तीय सहायता प्रदान करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाले उपक्रमों के माध्यम से किसान कल्याण को प्राथमिकता देना जारी रखती है।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि वर्तमान में फसल उपरांत लोन 21 लाख करोड़ रुपये के कुल कृषि लोन में से केवल 40,000 करोड़ रुपये है। वर्तमान में ई-एनडब्ल्यूआर के तहत लोन मात्र 4,000 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस स्कीम के बाद अगले 10 सालों में फसल उपरांत लोन बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
संजीव चोपड़ा ने कहा कि ई-किसान उपज निधि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कारगर बनाने पर भी जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए ई-किसान उपज निधि प्लेटफॉर्म से किसानों को बैंको से बार बार संपर्क किए बिना लोन देने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। अगले 1-2 सालों में वेयरहाउस पंजीकरण को बढ़ाकर 40,000 करने की जरूरत पर जोर देते हुए सचिव ने कहा कि अधिक वेयरहाउस का पंजीकरण करना और उन्हें योजना के दायरे में लाना प्राथमिकता होनी चाहिए।