
सरकार का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र को आधुनिक बनाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को मंजूरी दे दी है, जिसके लिए 2790 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। यह योजना डेयरी बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और विस्तार पर केंद्रित है, जिससे इस क्षेत्र की निरंतर वृद्धि और उत्पादकता सुनिश्चित होगी।
संशोधित एनपीडीडी से पूर्वोत्तर क्षेत्र में 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना होगी। दो दूध उत्पादक कंपनियों के गठन से 3 लाख 20 हजार अतिरिक्त प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिसका विशेष लाभ महिलाओं को मिलेगा, जो डेयरी कार्यबल का 70 प्रतिशत हिस्सा हैं।
संशोधित एनपीडीडी का लक्ष्य दूध की खरीद, प्रसंस्करण क्षमता और गुणवत्ता नियंत्रण को बेहतर करने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना है। यह किसानों को बाजारों तक बेहतर पहुंच, मूल्य संवर्धन के जरिए उचित मूल्य और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता बढ़ाने में मदद करेगा। इससे पशुपालक किसानों की आय में वृद्धि होगी और ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना में दो प्रमुख घटक शामिल हैं।
घटक ए: यह डेयरी बुनियादी ढांचे के सुधार पर केंद्रित है। इसमें दूध शीतक संयंत्र, उन्नत दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं और प्रमाणन प्रणाली शामिल हैं। यह नई ग्राम डेयरी सहकारी समितियों के गठन को प्रोत्साहित करेगा और विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर), दूरदराज के पिछड़े इलाकों, पहाड़ी क्षेत्रों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूध की खरीद व प्रसंस्करण व्यवस्था को मजबूत करेगा। इसके तहत समर्पित अनुदान सहायता से दो दूध उत्पादक कंपनियों का गठन भी किया जाएगा।
घटक बी: इसमें “सहकारिता द्वारा डेयरी संचालन (डीटीसी)” गतिविधियां शामिल हैं। जापान सरकार और जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के सहयोग से यह घटक नौ राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में डेयरी सहकारी समितियों के सतत विकास, उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढांचे को बेहतर करेगा।
एनपीडीडी के अब तक के क्रियान्वयन से व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव देखने को मिले हैं। इससे 18 लाख 74 हजार से अधिक किसानों को लाभ हुआ है और 30,000 से ज्यादा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। प्रतिदिन 100 लाख 95 हजार लीटर दूध खरीद की क्षमता बढ़ी है। योजना ने गुणवत्ता नियंत्रण के लिए अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया है। 51,777 से अधिक ग्राम-स्तरीय दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं मजबूत की गई हैं और 123 लाख 33 हजार लीटर की संयुक्त क्षमता वाले 5,123 बल्क दुग्ध शीतक स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, 169 प्रयोगशालाओं को फूरियर ट्रांसफॉर्म इंफ्रारेड (एफटीआईआर) मिल्क एनालाइजर से सुसज्जित किया गया है, और 232 डेयरी संयंत्रों में मिलावट का पता लगाने की उन्नत व्यवस्था शुरू की गई है।
यह योजना द्वितीय श्वेत क्रांति के लक्ष्यों के अनुरूप देश के डेयरी बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाएगी। नई तकनीक और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं नवगठित सहकारी समितियों के लिए और सहायक होंगी। यह कार्यक्रम ग्रामीण आजीविका को बेहतर करने, रोजगार सृजन और एक मजबूत डेयरी उद्योग के निर्माण में योगदान देगा। इससे देशभर के लाखों किसानों और संबंधित लोगों को लाभ होगा। यह योजना भारत को डेयरी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।