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केंद्र ने दी दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को दी मंजूरी, बढ़ेगी किसानों की आय और घटेगी आयात निर्भरता

मिशन के तहत किसानों को 88 लाख मुफ्त बीज किट वितरित की जाएंगी, जिससे उन्नत और उच्च उत्पादकता वाली दाल किस्मों की खेती को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही 1,000 प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाएगी ताकि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जा सके और मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन मिले।

Published: 15:43pm, 06 Oct 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन” को 2025-26 से 2030-31 तक लागू करने को मंजूरी दे दी है। इस मिशन का उद्देश्य देश में दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भरता हासिल करना और किसानों की आय को मजबूत करना है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए कुल 11,440 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

मिशन के तहत किसानों को 88 लाख मुफ्त उन्नत बीज किट वितरित की जाएंगी, ताकि वे बेहतर किस्मों का इस्तेमाल कर सकें। साथ ही, उत्पादन के बाद कटाई के नुकसान को कम करने और उत्पाद का मूल्य संवर्धन सुनिश्चित करने के लिए 1,000 नए प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना की जाएगी। मिशन के अगले चार वर्षों में तुअर, उड़द और मसूर की फसलों की 100 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की भी योजना है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार इस मिशन से लगभग 2 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा। मिशन का विशेष फोकस उच्च उपज, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-साढ़ प्रदर्शन कर सकने वाले दलहन किस्मों के विकास और प्रचार-प्रसार पर होगा। इसके लिए प्रधान दलहन उत्पादक राज्यों में बहु-स्थानीय परीक्षण और बीज उत्पादन योजनाएं लागू की जाएंगी।

मिशन का एक और प्रमुख लक्ष्य दलहनों के क्षेत्रफल को बढ़ाकर 35 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है। इसके लिए अंतर-फसलीय खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन दिया जाएगा। किसानों को टिकाऊ तकनीकों और आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रशिक्षण के लिए विशेष कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। सरकार की उम्मीद है कि 2030-31 तक दलहनों का क्षेत्रफल बढ़कर 310 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंच जाएगा।

इस मिशन के सफल क्रियान्वयन से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। साथ ही, देश की दालों पर आयात निर्भरता कम होगी जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। मिशन के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य का सुधार, जलवायु अनुकूल खेती और पर्यावरणीय समृद्धि भी बढ़ेगी। यह योजना भारत को विश्व के दाल उत्पादकों में आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाई पर ले जाएगी और किसानों को समृद्ध भविष्य का भरोसा देगी।

YuvaSahakar Desk

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